देवास। मध्यप्रदेश के देवास जिले में डिप्टी रेंजर लाल सिंह गंगराड़े की लाश उन्हीं के प्रभाव वाले जंगल में मिली है। लास्ट जमीन पर पड़ी थी लेकिन गले में फांसी का फंदा था। एक सुसाइड नोट भी मिला है परंतु फिर भी डिप्टी रेंजर की मौत संदिग्ध प्रतीत हो रही है क्योंकि सुसाइड नोट में आत्महत्या का जो कारण लिखा है, उस पर सरलता से विश्वास नहीं किया जा सकता।
उदयनगर वन परिक्षेत्र के जंगल में निर्माण कार्य चल रहा है। इस दौरान पौधारोपण, गड्ढे खुदाई और फेंसिंग लगाई जा रही है। इसकी जिम्मेदारी डिप्टी रेंजर लालसिंह गंगराडे (52) की थी। यहां काम कर रहे मोहन, सुरेश और भारत ने बताया- 'हम दाेपहर में खाना खाने की तैयारी कर रहे थे। तभी डिप्टी रेंजर अकेले जंगल की ओर चले गए। इसके बाद उनसे किसी भी तरह का संपर्क नहीं हो पाया। रात तक घर नहीं पहुंचने पर उनका बेटा एक सहकर्मी के घर गया। इसके बाद वे पुलिस चौकी पर गए।
मालूम पड़ा कि लालसिंह दोपहर 12 बजे जंगल की ओर निकले थे। घटना की जानकारी लगते ही रेंजर हरिकरण पटेल स्टाफ, उनके बेटे और गांव के कुछ लोग जंगल में डिप्टी रेंजर काे खोजने निकले। रात करीब 12.30 बजे जंगल में डिप्टी रेंजर की बाइक दिखाई दी। उससे एक किमी दूर पेड़ के नीचे उनका शव पड़ा था। प्लास्टिक की निवार का एक सिरा उनके गले में था, दूसरा सिरा पेड़ की डाल पर था।
सुसाइड नोट भी मिला है
सुसाइड नोट में लिखा- ‘मैं लाल सिंह गंगराडे डिप्टी रेंजर सबरेंज उदयनगर में कार्यरत हूं। नाकेदार राहुल बाेडाना जाे पटपड़ी पश्चिम में पदस्थ है, उसकी ड्यूटी बावड़ीखेड़ा बीट के कक्ष क्रमांक 692 में लगाई गई थी। उन्हें कई बार मेरे द्वारा माैखिक रूप से निर्देश दिए गए कि गड्ढाें की खुदाई का कार्य हाे गया है क्या। इस पर उन्हाेंने कहा कि सर हाे गया है, पूरे गड्ढे खुद गए हैं। 10 हजार पाैधे लगाने थे, लेकिन 3700 गड्ढे ही खाेदे गए थे। मैं मानसिक दबाव में आ गया। मैं आत्महत्या कर रहा हूं। मेरे परिवारजनों का इसमें कोई भी कसूर नहीं है। मैं आत्महत्या का स्वयं जिम्मेदार हूं।’
कुछ सवाल जिनके जवाब जरूरी हैं
डिप्टी रेंजर लालसिंह गंगराडे कि उम्र 52 साल थी। कम से कम 20 साल की सेवा अवधि रही होगी। इस दौरान कई बार डिप्टी रेंजर लाल सिंह टारगेट अचीव नहीं कर पाए होंगे, फिर इसी साल ऐसा क्या दबाव था जो उन्होंने सुसाइड कर लिया।
डिप्टी रेंजर श्री लाल सिंह गंगराड़े की बाइक उनके शव से 1 किलोमीटर दूरी पर मिली। ऐसा क्यों हुआ। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने 1 किलोमीटर पैदल चलने का फैसला क्यों किया जबकि पेड़ तो वहां पर भी मौजूद थे जहां पर बाइक मिली।
क्या 52 साल की उम्र में डिप्टी रेंजर श्री लाल सिंह गंगराड़े पेड़ पर चढ़ने की स्थिति में थे।
यह पता लगाना बहुत जरूरी है कि कहीं डिप्टी रेंजर की मौत के पीछे कोई साजिश तो नहीं।
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