#आरक्षण_भीख_है सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है / Trending topics in India

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह दौराई जाने पर कि आरक्षण किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं है, सोशल मीडिया पर जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ एक बार फिर अभियान शुरू हो गया है। देश का एक बहुत बड़ा वर्ग लगातार मांग कर रहा है कि भारत में जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था लागू की जाए। 

सोशल मीडिया पर दलील दी जा रही है कि संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भी कहते थे कि आरक्षण यदि 10 वर्ष से अधिक चला तो वह समाज के लिए हानिकारक हो सकता है। पिछले कुछ सालों में भारत में कई प्रकार के आरक्षण लागू किए गए हैं। स्टडी रिपोर्ट बताती है कि सभी प्रकार के आरक्षण देश के हित में नहीं बल्कि वोट के लालच में लागू किए गए। यही कारण है कि आप अनारक्षित जातियां लामबंद हो गई हैं और आरक्षण के खिलाफ वोट करने के लिए प्रेरित हो रही है। 

एक व्यक्ति को जीवन में कितने आरक्षण 

सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक व्यक्ति को उसके जीवन में कितनी बार आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। यदि वह किसी जाति विशेष में पैदा हुआ है तो क्या उसे हर कदम पर आरक्षण का लाभ दिया जाना उचित होगा। भारत में प्राथमिक शिक्षा के लिए जाति विशेष के लोगों को आरक्षण। मिडिल एवं हायर सेकेंडरी एजुकेशन में आरक्षित जातियों को विशेष प्रकार की सुविधाएं। हायर एजुकेशन में एडमिशन से लेकर हॉस्टल और परीक्षा फीस तक हर कदम पर जाति आधारित आरक्षण का लाभ। सरकारी नौकरी में आरक्षण और उसके बाद प्रमोशन में भी आरक्षण का लाभ दिया गया।

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