CBSE SCHOOL FEE वाले शिवराज सिंह सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक / MP NEWS

इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने शिवराज सिंह सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के अनुसार सुनिश्चित किया गया था कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी प्रकार का शुल्क वसूल नहीं सकता।

CBSE स्कूलों के संगठन ने फीस वसूली के लिए याचिका लगाई थी 

मंगलवार को कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि जिन मदों में स्कूलों ने वास्तव में खर्च किया है, उन मदों में फीस वसूल सकते हैं। हालांकि स्कूल छात्रों से परिवहन और भोजन खर्च के नाम पर कुछ भी नहीं ले सकेंगे क्योंकि लॉकडाउन की अवधि में छात्रों को लाने ले जाने पर और खाने-पीने पर उन्होंने खर्च नहीं किया। कोर्ट अब इस मामले में जुलाई के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेगी।

उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने आदेश जारी किया था कि निजी स्कूल लॉकडाउन की अवधि के दौरान छात्रों से सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं। इसके अलावा कोई अन्य शुल्क लेने का उन्हें अधिकार नहीं रहेगा।

गैर अनुदान प्राप्त सीबीएसई स्कूलों के संगठन ने सीनियर एडवोकेट पीयूष माथुर और एडवोकेट गौरव छाबड़ा के माध्यम से शासन के इस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। स्कूलों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान भी स्कूल संचालन के खर्च कम नहीं हुए हैं। उन्हें अध्यापकों और गैर अध्यापक कर्मचारियों को वेतन देना ही है।

इसके अलावा अन्य खर्च भी जस के तस हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सोमवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।न स्कूलों को पूरी राहत मिली, न अभिभावकों को इंदौर पालक संघ ने भी याचिका में इंटरविनर बनते हुए एडवोकेट विभोर खंडेलवाल के माध्यम से अपना पक्ष रखा।

खंडेलवाल ने बताया कि मंगलवार को जारी आदेश में भले ही कोर्ट ने शासन के आदेश पर रोक लगा दी लेकिन इसके बावजूद न स्कूलों को पूरी राहत मिली है न ही अभिभावकों को। अभिभावकों को राहत देते हुए कोर्ट ने यह जरूर कहा है कि निजी स्कूल, परिवहन तथा भोजन जैसे किसी भी अन्य शुल्क की मांग अभिभावकों से नहीं कर सकेंगे, जो वास्तविकता में उन्होंने खर्च नहीं किया है।

दूसरी तरफ स्कूलों को भी राहत दी है कि वे अपने शिक्षकों तथा अशैक्षणिक कर्मचारियों को नियमित वेतन भुगतान करने के लिए अभिभावकों से ट्यूशन फीस भरने की मांग कर सकते हैं। पालक संघ के अनुरोध ललित जैन ने बताया कि संघ इस आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर करेगा।

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