क्या शासकीय कर्मचारी के खिलाफ पुलिस इन्वेस्टिगेशन और डिपार्टमेंटल इंक्वायरी एक साथ कर सकते हैं / NIYAM KANOON

Can police investigation and departmental inquiries together against government employees

शासन की सेवा में तैनात अधिकारी/ कर्मचारियों पर आरोप तो कई प्रकार के लगते हैं। कभी-कभी विभागीय जांच भी शुरू हो जाती है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जब एक ही प्रकार के आरोप पर विभागीय जांच शुरू की जाती है और आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कर लिया जाता है। एक तरफ पुलिस जांच कर रही होती है और दूसरी तरफ डिपार्टमेंट। सवाल यह है कि क्या किसी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण की इन्वेस्टिगेशन और डिपार्टमेंटल इंक्वायरी एक साथ की जा सकती है। जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एडवोकेट श्री अमित चतुर्वेदी ने इस प्रश्न का उत्तर उपलब्ध कराया है। आइए पढ़ते हैं:-

1) यदि, आपराधिक प्रकरण एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही (विभागीय जांच) सामान या समरूप आधारों और साक्ष्यों पर आधारित होती है। उक्त परिस्थिति में अनुशासनात्मक कार्यवाही या विभागीय जांच को आपराधिक प्रकरण के निराकरण या निष्कर्ष तक स्थगित रखा जाना चाहिए या रोक लगाई जानी चाहिए।

2) केवल, आपराधिक प्रकरण के न्यायालय के समक्ष विचाराधीन होने के आधार पर विभागीय जांच या विभागीय कार्यवाही, स्थगित नही की जा सजती है। सक्षम न्यायालय के समक्ष विवाद की स्थिति में किसी भी प्रकार का स्थगन आदेश जारी करने के पूर्व कोर्ट यह देखता है कि क्या आपराधिक केस और विभागीय कार्यवाही, समरूप या समान तथ्यों या साक्ष्यों पर आधारित है और प्रकरण में कोई जटिल विधिक प्रश्न तो सम्मिलित नही है। समान या समरूप  तथ्य पाए जाने पर, सक्षम कोर्ट, विभागीय कार्यवाही के विरुद्ध स्थगन पारित कर सकता है।

3) यदि, विभागीय कार्यवाही समान या समरूप तथ्यों एवं साक्ष्यों पर आधारित नही है, उन परिस्थितियों में कोर्ट किसी भी प्रकार के स्थगन देने से निषेध कर सकता है। दूसरे शब्दों मे, विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही के तथ्य और आधार आपराधिक विचारण के तथ्यों एवम साक्ष्यों से भिन्न हो तब, विभागीय कार्यवाही पर रोक नही लगाई जा सकती है।

4) न्यायिक मत के अनुसार, दोनों कार्यवाही, एक साथ हो या नही, इस संबंध में कोई भी नपा तुला नियम नही बनाया जा सकता है अपितु, जहाँ कर्मचारियों के विरुद्ध गम्भीर   प्रकृति के आपराधिक प्रकरण एवं जटिल तथ्य एवं विधि के प्रश्न सम्मिलित हैं, वहाँ, विभागीय कार्यवाही पर रोक लगाई जानी चाहिए। यह देखा जाना चाहिये कि विभागीय जांच, कर्मचारी के विरुद्ध चल रहे आपराधिक प्रकरण की प्रतिरक्षा, विपरीत रूप से प्रभावित नही करें। आपराधिक विचारण में देरी होने पर कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ की जा सकती है।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!