ज्योतिरादित्य सिंधिया सर, 'तत्पर हूँ' से क्या तात्पर्य है, कृपया स्पष्ट कीजिए | MP NEWS

भोपाल। कोरोनावायरस का संक्रमण और लॉक डाउन के बाद दो वक्त की रोटी के लिए भटक रहे गरीबों की मदद हेतु लाखों हाथ उठ खड़े हुए हैं। नीमच में तो बच्चों ने अपनी गुल्लक तोड़कर मजदूरों को खाना खाने के लिए पैसे दे दिए परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹3000000 दिए या नहीं दिए अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। 

राहत के पत्र में राजनीति 

दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को जो पत्र लिखा है उसमें स्पष्ट रूप से सहायता कम और राजनीति ज्यादा नजर आती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी चतुराई के साथ लिखा है कि "कोरोना जैसे अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे आमजन के स्वास्थ्य और अन्य संसाधनों की आपूर्ति हेतु स्वयं की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष में 30 लाख रुपये की सहायता राशि देने हेतु तत्पर हूँ।" 

'सहायता राशि देने हेतु तत्पर हूँ' से क्या तात्पर्य है 

ज्योतिरादित्य सिंधिया की चिट्ठी एवं ट्वीट में 'सहायता राशि देने हेतु तत्पर हूँ' से उनका क्या तात्पर्य है समझ नहीं आया। यदि उन्हें ₹3000000 की सहायता राशि देनी है तो मुख्यमंत्री सहायता कोष के नाम से डिमांड ड्राफ्ट बनवा दें। वह चाहे तो अपने अकाउंट से ऑनलाइन RTGS भी कर सकते हैं। ज्यादातर लोग ऐसा ही कर रहे हैं। भुगतान करने के बाद उसका प्रमाण सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सिर्फ इतना बताया है कि 'सहायता राशि देने हेतु तत्पर हूँ।' समझ नहीं आया 20000 करोड़ की संपत्ति के मालिक, 600 करोड़ के घर में रहने वाले श्रीमंत महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या चाहते हैं। क्या वह यह चाहते हैं कि 3000000 रूपए की राशि लेने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली उनके घर पहुंचे। या फिर वह यह चाहते हैं कि भोपाल में एक भव्य आयोजन किया जाए, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया ₹3000000 का चेक मुख्यमंत्री को सौंपेंगे, और वहां मौजूद मजदूर उनका मुजरा करेंगे। 

सिंधिया ने नहीं बताया तत्पर हूँ का तात्पर्य

इस खबर को लिखने से ठीक 24 घंटे पहले भोपाल समाचार ने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से 'तत्पर हूँ का तात्पर्य' पूछा था लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया या उनके कार्यालय ने प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि 'तत्पर हूँ' लिखकर उन्होंने एक भ्रम पैदा किया, जनता समझेगी कि महाराज ने 3000000 रुपए दे दिए जबकि 3000000 रूपए देने भी नहीं पड़े।


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