मप्र शिक्षक भर्ती: अतिथि शिक्षकों को आरक्षण की भीख नहीं अनुभव के बोनस अंक चाहिए - Khula Khat

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कैलाश विश्‍वकर्मा।
सरकार की मनमानी से एक तरफ शिक्षक भर्त्ती के लिये लोग परेशान है वहीं भर्ती पर प्रति दिन सवाल उठ रहे हैं सवाल उठना लाजमी भी है सरकार बेरोजगारो सेे ऐसा मजाक क्‍यो कर रही यह समझ से परे हैै। 

हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को बोनस अंक के लिए कहा है

बात करें शिक्षक भर्ती विज्ञापन जारी होनेे से। जब विज्ञापन जारी हुआ उसमें स्‍‍‍‍‍पष्‍ट था कि मध्‍यप्रदेश का मूल निवासी ही आवेदन कर सकता था। कुछ दिन बाद जब आवेदन कम पहुंचे तो सरकार ने मूल निवासी की शर्त हटा दी और 2 लाख आवेदन जमा हो गयेे। दूसरा मामला अतिथि शिक्षकों को माननीय उच्‍च न्‍यायालय से पारित आदेश के अनुसार अनुभव के बोनस अंक प्रदान किये जाने थे वह सरकार ने मनमाने तरीके से बदलकर आरक्षण कर दिया जो न्‍यायसंगत नहीं है। 

आरक्षण और बोनस अंक में अंतर समझते है

आरक्षण किसे दिया जाता हैै, ऐसे समुदाय या ऐसी जाति तो सक्षम नहीं है। योग्‍य नहीं है। उन्‍हें उपर उठाने या सभी के समकक्ष लाने के लिये आरक्षण दिया जाता है जिससे वह लोग सभी के समान रहकर अपनेे आपको कमजोर न समझ सकें। अतिथि शिक्षकों को आरक्षण देना गलत हैै क्‍योंकि शिक्षक भर्ती में यदि मेरिट लिस्‍ट देखा जाये तो हिन्‍दी विषय में सर्वाधिक अंक लेने वाले अतिथि शिक्षक हैं। जिन्‍होने 150 में से 139 अंक हासिल कर प्रदेश में अपना नाम किया है। क्‍या ऐसे अतिथि‍ शिक्षक को सरकार कमजोर समझती है। 

बोनस अंक किसे दिया जाता है, ऐसे समस्‍त अनुभव के लिये बोनस अंक दिये जाते हैै जो सरकार की सेवा के लिये अपनी ईमानदारी से काम किया हो। जिससे सरकार को सहयोग मिला हो। चाहे वह कोई भी विभाग हो। सीधे कहें तो सरकारी विभागों में काम करने वाले अस्‍थाई कर्मचारी को बोनस अंक उनकी सेवा के बदले दिया जाता है। जैसे पूर्व समय में शिक्षाकर्मी, औपचारिकेत्‍तर, गुरूजी को दिया गया व अन्‍य विभागों में भी सेवा के बदले बोनस अंक दिये गये।

शिक्षक भर्ती में सरकार ने सत्‍यापन प्रक्रिया प्रारंभ  की जिसमें पहले नियम जारी किये गये दो डिग्री एक साथ नहीं होना चाहिये और अतिथि शिक्षक में काम किया है तो अनुभव के साथ डिग्री नहीं होना चाहिये । 

कुछ  समय बाद अपनो को लाभ पहुंचाने के लिये इन नियमों को बदल दिया गया , अधिकारियों की मनमानी इतनी हाबी हो गई कि आम आदमी की सुनने वाला ही नही कोई । 

शिक्षक भर्ती में दिया गया आरक्षण भी गलत दिया गया जो कि लाभ पहुचाने के लिये दिया जाता है पर अधिकारियों की मिली भगत के कारण एसे अतिथियों को लाभ दिया गया जिनको लाभ की आवश्‍यकता ही नहीं थी उनका चयन मेरिट सूची में पहले दूसरे स्‍थान पर है उन्‍हें आरक्षण में लाभ दे दिया गया।   

योग्य अतिथि शिक्षकों की अनदेखी क्यों

प्रिय संपादक महोदय, भोपाल समाचार, सादर नमस्कार; आखिरकार सरकार द्वारा योग्य अतिथि शिक्षकों की अनदेखी करना समझ से परे है। विगत कई वर्षों से विद्यार्थियों को अल्प वेतनमान पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं परंतु सरकार द्वारा उनके हित में कोई उचित नीति नहीं बनाई गई। बोनस अंक का हटाकर जो 25% पद आरक्षित किए हैं। वह नीति भी गलत बनाई है क्योंकि उसमें अधिकतम कार्यानुभव वाले को कोई भी लाभ नहीं दिया गया जिससे कि वह नियमित हो सके।

शीर्ष स्तर के जनप्रतिनिधियों ने भी अतिथि शिक्षकों की हमेशा से ही अनदेखी की है। कांग्रेस ने 90 दिनों में नियमितीकरण का मजाक बनाया था। तो इधर अतिथि हित में ढाल तलवार के रूप में बचाव में आए भाजपा के श्रीमंत सिंधिया जी ने अभी तक कोई नियमितीकरण की नीति हेतु बयान तक नहीं दिया।
कपिल मोदी, अतिथि शिक्षक, राजाराम नगर, देवास

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