JABALPUR में नकली रेमडेसिविर वाले VHP नेता को न्यूनतम कष्ट वाली कार्रवाई, बस औपचारिकताएं पूरी हो रहीं हैं

जबलपुर
। करीब 500 मरीजों को नकली रेमडेसिविर मामले में गिरफ्तार सिटी अस्पताल के डायरेक्टर एवं विश्व हिंदू परिषद के नेता सरबजीत मोखा की गिरफ्तारी से लेकर अब तक हर मामले में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। कलेक्टर ने सिर्फ 3 महीने के लिए रासुका की कार्रवाई की है और मामले की इन्वेस्टिगेशन उस पुलिस अधिकारी को दी गई है जिसकी सरबजीत से दोस्ती पूरे जबलपुर में फेमस है।

CSP आरडी भारद्वाज को ही गई है सरबजीत के मामले की जांच

एसपी जबलपुर ने मामले में सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज को जांच अधिकारी बनाया है। भारद्वाज पूर्व में ओमती टीआई भी रह चुके हैं। तब उनके और मोखा के संबंध जगजाहिर थे। अब दोस्त के हाथ में ही पूरी जांच की कमान सौंप दी है। स्थानीय अखबारों में खबर छपी थी कि सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज दोस्ती निभाने की कोशिश भी कर चुके हैं। मोखा समेत तीनों आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले वे सिटी अस्पताल के कर्मी देवेश चौरसिया को फरियादी बना रहे थे। ट्रेनी आईपीएस रोहित काशवानी भी सहमति दे चुके थे। इसकी भनक एसपी को लग गई। इसके बाद ओमती टीआई को फरियादी बनाया गया।

पुलिस ने रिमांड मांगा तक नहीं

मोखा की गिरफ्तारी भी नाटकीय ढंग से हुई। पुलिस उसके अस्पताल से उसे जीप तक ऐसे लेकर आई जैसे किसी अतिथि को लाया जाता है। यहां उसे मेहमान की तरह पूरी रात रखा गया। घर से आया खाना खिलवाया गया। फिर बिना पूछताछ किए ही उसे जेल भेज दिया गया। हैरानी की बात ये कि पुलिस ने रिमांड मांगने की औपचारिकता तक पूरी नहीं की।

कलेक्टर की NSA कार्रवाई में भी सरबजीत की सहूलियत का ख्याल रखा गया

सरबजीत मोखा पर एनएसए लगाने में भी कर्मवीर शर्मा ने दरियादिली दिखाई। इससे पहले न्यू मुनीष मेडिकोज के दो कर्मियों के खिलाफ एनएसए में कार्रवाई करते हुए 6 महीने के लिए जेल में निरूद्ध किया था। पर मोखा को सिर्फ तीन महीने के लिए निरूद्ध किया, जबकि न्यू मुनीष के दोनों कर्मियों का रेमडेसिविर इंजेक्शन का सौदा करते हुए बातचीत हुई थी। यहां तो 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों को लगा दी गई थी।

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