शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग: BJP के प्रदेश मंत्री की राज्यपाल से अपील

इंदौर
। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री श्रेष्ठा जोशी हैं राज्यपाल महोदय से अपील की है कि वह शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटाकर किसी दूसरे योग्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाएं। श्रेष्ठा जोशी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान से स्थिति संभल नहीं रही है।

संगठन के दबाव के बावजूद श्रेष्ठा जोशी ने पोस्ट नहीं हटाई

शुक्रवार दोहर करीब डेढ़ बजे भाजपा नेत्री ने अपनी वाल पर लिखा कि माननीय राज्यपाल जी एमपी के सीएम को बर्खास्त कर नए सीएम की नियुक्ति की जाए। इसके बाद तमाम लोगों ने जोशी की पोस्ट पर कमेंट लिखना शुरू कर दिया। माना जा रहा था कि भाजपा नेत्री थोड़ी देर में पोस्ट को डिलीट कर देगी या अकाउंट हैक होने की शिकायत कर सकती हैं। हालांकि श्रेष्ठा ने पोस्ट नहीं हटाया।

2 कार्यकर्ता मर गईं, मैं उनकी कोई मदद नहीं कर पाई

भाजपा नेत्री श्रेष्ठा जोशी ने कहा कि मैंने अपनी अंतर आत्मा की आवाज सुनकर सच लिखा है। मेरे आसपास के लोग मर रहे हैं। महिला मोर्चा की दो कार्यकर्ता बीते दिनों कोरोना से मर गई। मैं उनकी मदद तक नहीं कर सकी। लोग हमसे उम्मीद करते हैं फोन लगाते हैं। हम न तो आक्सीजन दिलवा पा रहे हैं न उन्हें इंजेक्शन। 

शिवराज जी से स्थिति संभल नहीं रही: श्रेष्ठा जोशी

जो सच है वो सच है प्रदेश में यदि शिवराजजी से स्थिति नहीं संभल रही तो संगठन को किसी योग्य व्यक्ति को जिम्मेदारी देना चाहिए। होना तो यह चाहिये कि नैतिकता के नाते उन्हें खुद ही पद छोड़ना चाहिए। मुझसे संगठन के कई लोगों ने पोस्ट हटाने के लिए भी कहा। मैंने पोस्ट डिलीट नहीं की। मुझे पता है कि भविष्य मेें मुझे इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन मैं अंतर आत्मा की आवाज के साथ समझौता नहीं करुंगी।

आत्मा कचोटने लगी है, गलत बात की कब तक वकालत करूं

श्रेष्ठा जोशी ने कहा पिछले एक साल से कोरोना हमारे बीच है। अब मेरी आत्मा कचोटने लगी है। गलत बात की, कब तक वकालत करूं। नहीं हो रहा है, तो माफी मांगिए। आगे बढ़कर किसी और को व्यवस्था सौंप दीजिए। आपको बने भी रहना है। व्यवस्था भी नहीं करनी है, तो आपको हमने जिताया, इतनी मेहनत की। हमने अपना पैसा लगाया, समय दिया। जब तक जनता का मसला था, तो उतना हमें भी समझ नहीं आ रहा था, लेकिन अब जब मेरी आंखों के सामने अपनों को मरते हुए देखा, तो दिमाग हिल गया। मेरे कार्यकर्ता मर रहे हैं, मैं मदद नहीं कर पा रही हूं। प्रतिदिन की बात है, किसी को ऑक्सीजन, चाहिए तो किसी को बेड नहीं मिल रहा। कोई रेमडेसिविर के लिए भटक रहा है।

आप न तो कोई व्यवस्था कर पा रहे हैं और न ही जवाब दे रहे हैं

श्रेष्ठा जोशी ने कहा पहले कह रहे थे कि 1 मई से वैक्सीन लगनी है, अब आप कह रहे हैं कि हमारे पास तो वैक्सीन ही नहीं है। पिछले एक साल से ऐसी परिस्थिति है। सांवेर चुनाव में हम भी गए। जैसे-जैसे कोराेना को समझने लगे, हम भी पीछे हटने लगे। हमने अपनी गलती सुधारी। आप न तो कोई व्यवस्था कर पा रहे हैं और न ही कोई जिम्मेदारी वाला जवाब दे रहे हैं। मैंने कई अस्पतालों में बात की। किसी अस्पताल में रेमडेसिविर नहीं है। यहां के नेता तो अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन आप तो प्रदेश के हैं ना। दमोह चुनाव में जा रहे हैं।

हमारे नेता, हमारी सरकार, प्रशासन हमारा... फिर भी हम कालाबाजारी नहीं रोक पा रहे हैं

श्रेष्ठा जोशी ने कहा कि उनकी कोई विचार धारा नहीं बदली है और ना ही किसी और संगठन से निष्ठा बनी है। मैंने जो महसूस किया। अपनी बात स्पष्ट रूप से रखी है। मैं गलत को सही नहीं कह सकती। हमारे नेता, हमारी सरकार, प्रशासन हमारा... फिर भी हम कालाबाजारी नहीं रोक पा रहे हैं। यह सब रोकने की हमारी मंशा नहीं है। मुझे कहीं से कहीं तक उनकी मजबूरी नहीं दिख रही। उनकी मंशा ही नहीं है। कम से कम अपने कार्यकर्ताओं से संवाद कर उन्हें हकीकत तो बताएं। आप संवाद तो कर नहीं रहे हैं और चाहते हैं कि हम आपकी वकालत करें। मेरे सामने लोग मर रहे हैं, कैसे मैं करूं।

मेरी निष्ठा संगठन के प्रति है, व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं

श्रेष्ठा जोशी ने एक कार्यकर्ता के बारे में बताया कि दोनों भाईयों ने बचपन से संगठन का काम किया। एक बार्डर पर लड़ने चला गया। दूसरा गंभीर माता-पिता को संभाल रहा था। उनके पिता शांत हो गए, जबकि भाई और मां की हालत गंभीर है। बाॅर्डर से उसका भाई आकर सेवा कर रहा है। उनके लिए मैंने कई कॉल किए, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। सुबह 9 बजे से रात 12 बजे तक मदद के लिए कॉल ही लगाती रहती हूं। मेरी निष्ठा संगठन के प्रति है, व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं। मुझे तो लगा मैंने कर दिया। कोरोना कोई अचानक नहीं आया है कि हम स्थिति नहीं संभाल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जनता को इतनी पाबंदी में रख रहे हैं तो हमें भी रहना चाहिए। अनुशासन सबके लिए अलग-अलग नहीं होता, उसकी परिभाषा एक ही होती है। नियम सबके लिए एक होना चाहिए।

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