यदि चेक बाउंस हो और हस्ताक्षरकर्ता मर जाए तो 138 का केस किसके खिलाफ दर्ज होगा - GK IN HINDI

चेक बाउंस होने पर चेक दाता की मृत्यु होने पर क्या प्रक्रिया

यदि दो व्यक्तियों के बीच वित्तीय व्यवहार है और एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को वचन के अनुसार निर्धारित समय पर भुगतान के लिए चेक दे दिया है। लेकिन बैंक में प्रस्तुत करने पर चेक बाउंस हो जाए और इधर चेक पर हस्ताक्षर करने वाली की मृत्यु हो जाए, ऐसी स्थिति में विवाद का निपटारा कैसे होगा। 

NIA की धारा 138 के तहत मुकदमा किसके खिलाफ दर्ज होगा 

चेक बाउंस होने की स्थिति में आरोपी व्यक्ति से वसूली कर रहे हैं एवं उसे दंडित करने के लिए परक्राम्य लिखत अधिनियम १८८१ या 'विनिमय साध्य विलेख नियम १८८१' (Negotiable Instruments Act, 1881) बनाया गया है पुलिस था परंतु यदि आरोपी की मृत्यु हो जाती है तब नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। 

चेक बाउंस विवाद में हस्ताक्षर करने वाले की मृत्यु पर, मामले का निपटारा कैसे होगा 

यह तो हमें समझ में आ चुका है कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत मामला नहीं चलाया जा सकेगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चेक बाउंस विवाद का कोई निराकरण नहीं होगा। हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत इस विवाद का निपटारा किया जाएगा। कानून के तहत जो व्यक्ति मृतक की संपत्ति का अधिकारी होगा वही व्यक्ति उसकी देनदारियों के लिए भी जिम्मेदार होगा। मरने वाले व्यक्ति का उत्तराधिकारी उसके सभी प्रकार के कर्ज को चुकाने के लिए कानून रूप से जिम्मेदार होगा। फर्क बस इतना आएगा कि उत्तराधिकारी के खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चला सकते। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 

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