कर्मचारी की दूसरी पत्नी को पेंशन और बच्चों को ग्रेच्युटी में हिस्सा मिलेगा या नहीं - LAW for LIFE

कई बार कुछ शासकीय कर्मचारी पहली पत्नी के जीवित रहते, बिना तलाक दिए दूसरी महिला के साथ संबंध स्थापित कर लेते हैं। इसके चलते दूसरी महिला की भी संतान पैदा हो जाती है। हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार पहले विवाह संबंध के अस्तित्व में रहते दूसरा किसी भी प्रकार का संबंध अवैध माना जाता है। प्रश्न यह है कि शासकीय कर्मचारी की स्थिति में क्या दूसरी पत्नी को विधवा की मान्यता के साथ पेंशन मिलेगी और उसके बच्चों को ग्रेच्युटी में हिस्सा मिलेगा या नहीं। एक प्रकरण में इन सभी प्रश्नों के उत्तर उपस्थित होते हैं।

रामेश्वरी देवी बनाम बिहार राज्य:-

इस मामले में यह तथ्य था कि एक सरकारी कर्मचारी जिसकी मृत्यु 1987 में सेवा काल में हो गई थी, दो पत्नियों के बीच पारिवारिक पेंशन ओर ग्रेच्युटी अर्थात भविष्य निधि के भुगतान के मामले का विवाद उत्पन्न हुआ। अपीलार्थी रामेश्वरी देवी, नारायन लाल (कर्मचारी) की पहली पत्नी है। नारायण लाल ने पहली पत्नी होते हुए 1963 में दूसरा विवाह कर लिया था। प्रथम पत्नी का एक बेटा था और दूसरी पत्नी के चार बेटे थे। 

एकल न्यायाधीश ने यह निर्णय दिया कि नारायण लाल की दूसरी पत्नी योगमाया से उत्पन्न बेटे पारिवारिक पेंशन ओर ग्रेच्युटी पाने के हकदार होंगे। जब तक कि वह वयस्क नहीं हो जाते एवं उच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि दूसरी पत्नी योगमाया कुछ भी पाने के हकदार नहीं होगी।  न्यायालय ने पहली पत्नी की इस याचिका को खारिज किया की नारायण लाल और योगमाया देवी में कोई विवाह नहीं हुआ था उसके बेटे धर्मज नहीं थे और कोई लाभ को पाने के हकदार नहीं थे।

उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय:-
इसी मामले को फिर से पहली पत्नी रामेश्वरी देवी ने विशेष अनुमति से उच्चतम न्यायालय में अपील फाइल की सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि पहली पत्नी के होते हुए एक मृतक हिन्दू कर्मचारी की दूसरी पत्नी से उत्पन्न बच्चे हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के अंतर्गत पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी पाने के हकदार है। हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत एक अवसीयत हिंदू के मरने पर उसकी संपत्ति खण्ड 1 में वर्णित उत्तराधिकारियों को दी जाती है, जिसमें विधवा और विधवा के बच्चे भी आते हैं।  

मृतक नारायण लाल द्वारा पहली पत्नी के होते हुए दूसरी पत्नी से विवाह करने पर दूसरी पत्नी विधवा नहीं मानी जाएगी क्योंकि उसका यह विवाह शून्य होगा लेकिन मृतक की दूसरी पत्नी से उत्पन्न बच्चे धर्मज होंगे और वह पेंशन तथा ग्रेच्युटी पाने के हकदार भी होंगे।

उपर्युक्त वाद से यह स्पष्ट होता है कि पहली पत्नी के होते हुए अगर कोई व्यक्ति दूसरा विवाह करता है तो उसका विवाह शून्य होगा और दूसरी पत्नी को अपने पति की संपत्ति से कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन दूसरी पत्नी के बच्चों को पिता की संपत्ति में हक़ होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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