विदेशी वस्तु कब उपहार और कब अपराध मानी जाती है, यहां पढ़िए - ASK IPC

भारत में लोगों को विदेशी चीजें संग्रहित करने का काफी शौक होता है। कुछ लोगों के परिवार या परिचित लोग विदेश जाते हैं तो उनके लिए उपहार लेकर आते हैं और कुछ लोग दूसरे माध्यमों से विदेशी चीजें खरीद लेते हैं। ज्यादातर लोग नहीं जानते कि विदेशी चीजें अपने पास रखना कभी-कभी गंभीर अपराध की श्रेणी में आ जाता है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 127 के तहत FIR दर्ज होती है और 7 साल की जेल की सजा हो सकती है।

हम कुछ दिनों से आपको राज्यों के विरुद्ध अपराध कब होता है इसकी जानकारी दे रहे हैं। आज की धारा पिछले लेख की धारा 125 एवं 126 से ही संबंधित है, धारा 125 में कोई व्यक्ति किसी एशियाई देश के विरुद्ध युद्ध करेगा और वहाँ से लूटी संपत्ति को अपने देश लगेगा या धारा 126 के अनुसार कोई व्यक्तियो का समूह किसी भी राष्ट्र में जाकर लूटपाट करके संपत्ति को अपने देश लेकर आएगा। ऐसी संपत्ति को कोई अन्य व्यक्ति प्राप्त करता है तब प्राप्त करनें वाला व्यक्ति धारा 127 के अंतर्गत अपराध करेगा जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 127 की परिभाषा:-

1. किसी भी एशियाई देश जिससे भारत के शांतिपूर्ण मित्रता संबंध स्थापित है, ऐसे देश के विरुद्ध कोई व्यक्ति युद्ध करेगा और इन देशों से कोई संपत्ति लेकर आएगा या किसी भी राष्ट्र जिससे भारत के अच्छे संबंध है वहा से व्यक्तियों का समूह लूटपाट, धोखाधड़ी, करके कोई संपत्ति भारत लगेगा। तब कोई व्यक्ति यह जानते हुए ऐसी सम्पत्ति को प्राप्त करता है वह धारा 127 के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 127 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जाती है। सजा- सात वर्ष की कारावास और जुर्माना साथ में कुछ सम्पति का समपहरण भी किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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