GWALIOR कोषालय में 32 साल पहले जमा हुए 80 लाख के जेवर गायब, अपराधी खोजने में SIT नाकामयाब - MP NEWS

ग्वालियर।
ग्वालियर में वर्ष 1988 में हुई एक वारदात में चोरी हुए सोने-चांदी के आभूषणों की बरामदगी के बाद कोषालय में जमा करवाने और वहां से गायब हो जाने का मामला करीब 32 साल बाद फिर चर्चा में है। 80 लाख रुपये से अधिक के आभूषण गायब होने की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) इसके लिए जिम्मेदार लोगों का पता नहीं लगा सकी है। ये आभूषण मोतीमहल स्थित कोषालय (ट्रेजरी) से गायब हो गए थे।
  
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में बुधवार को एसआइटी की ओर से बताया गया कि अधिकारी व कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए हैं। प्राथमिक जांच में ऐसा प्रतीत होता है कि सोना-चांदी के आभूषण गायब करने में ट्रेजरी के कर्मचारियों का हाथ है। इस याचिका पर 8 अक्टूबर 2020 को फिर से सुनवाई होगी। 

दरअसल, मामला कुछ पेचीदा है और कानूनी उठापटक वाला भी। किला गेट स्थित सोडा कुआं के पास रमेशचंद्र गोयल सोना-चांदी का व्यापार करते थे। 1988 में उनके घर डकैती पड़ी थी। डकैतों ने रमेशचंद्र और पत्नी बसंती की हत्या कर दी थी। डकैतों ने सोना-चांदी व नकदी लूट लिए थे। बाद में पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार किया और उससे बरामद सोने-चांदी के आभूषणों को कोषालय में रखवा दिया था। वर्ष 2013 में रमेशचंद्र के बेटे राम गोयल, श्याम गोयल व बेटी रुचि अग्रवाल ने कोषालय में जमा सोने-चांदी को वापस लेने के लिए जिला न्यायालय में आवेदन पेश किया था। जब माल वापस मिलने में देर हुई तो वे हाई कोर्ट चले गए। हाई कोर्ट ने शीघ्र कार्रवाई पूरी कर वर्ष 2016 में माल लौटने का आदेश दिया।

इस आदेश के बाद कोषालय के मालखाने से आभूषण से भरा बॉक्स मंगाया। उसे खोला तो बॉक्स से सोना-चांदी गायब मिला। जिला न्यायाधीश ने इस मामले की जांच की। बॉक्स से 12 पैकेट गायब बताए गए, इनमें कीमती आभूषण थे। जिला न्यायाधीश ने 2017 में इन आभूषणों की अनुमानित कीमत 70 से 80 लाख रुपये के बीच बताई थी। हाई कोर्ट इस पूरे मामले पर सख्त बना रहा। सख्ती के बाद पुलिस अधीक्षक ने गायब करने वालों की पहचान के लिए कुछ महीनों पहले एसआइटी गठित की, जिसमें सीएसपी इंदरगंज मुनीश राजौरिया, टीआइ पड़ाव थाना ज्ञानेंद्र सिंह, उप निरीक्षक नरेंद्र सिंह, मुकेश शर्मा को शामिल किया गया है।

आभूषण गायब होने के मामले में कोषालय के पूर्व नाजिर हरि सिंह के खिलाफ पड़ाव थाने में केस दर्ज हो चुका है, लेकिन उसने पूछताछ के दौरान जुर्म स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है। एसआइटी ने जांच कर स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की है

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