छिपकली की पूँछ कटने के बाद दोबारा कैसे उग जाती है, इंसान का हाथ कटने के बाद क्यों नहीं आता - सरल SCIENCE

Amazing facts in Hindi about lizard 

छिपकली यानी (lizard) एक सरीसृप (Reptile) तथा निशाचर (सूर्यास्त के बाद सक्रिय होने वाला) जीव है। यह पेट के बल रेंग कर चलती हैं। इनकी जीभ तथा नाक एक ही साथ स्थित होती है। इस कारण यह अपने शिकार को पकड़ने के पहले जीभ बाहर निकाल कर सूंघती है  और फिर उसी जीभ से शिकार को पकड़ लेती है। डायनासोर इन्हीं के पूर्वज थे जो एक विलुप्त (extinct) प्रजाति है। कुछ छिपकलियों में रंग बदलने की क्षमता भी पाई जाती है जिन्हें गिरगिट( chamelion) / garden lizard भी कहते हैं।

छिपकली की पूँछ यदि कट जाए तो दोबारा कैसे आ जाती है?

हम सभी ने अक्सर अपने घरों में देखा होगा कि यदि छिपकली की पूँछ कहीं फँस जाए या कोई पकड़ ले तो वह उसे छोड़ कर भाग जाती है। तो आइए जानते हैं कि छिपकली की पूँछ में 
ऐसी क्या विशेषता पाई जाती है कि वह दोबारा आ जाती है? 

छिपकली की पूंछ में पुनरुदभवन या (Regeneration) की विशेष क्षमता पाई जाती है। जिसके कारण उसकी पूँछ कटने के बाद दोबारा आ जाती है। जब छिपकली की पूँछ कटती है तो खून नहीं निकलता बल्कि खून का थक्का बन जाता है और वहां पुनरुदभवन वाली कोशिकाएं आकर उभार बना लेती हैं और फिर दोबारा उसी स्थान पर पूँछ आ जाती है। इस प्रकार की पुनरुदभवन की क्षमता कुछ विशेष जीवो जैसे -ऑक्टोपस, हाइड्रा , प्लेनेरिया आदि में भी पाई जाती है।

अब सवाल यह है कि क्या मनुष्य में भी ऐसी क्षमता पाई जाती है? 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मनुष्य के नाखून तथा बालों का दोबारा उगना भी इसी क्षमता  के कारण होता है परंतु यह मृत कोशिकाएं होती हैं। मनुष्य के यकृत (Liver) में पुनरुदभवन की अपार क्षमता पाई जाती है। किसी चोट के लग जाने पर घाव का कुछ दिनों में भर जाना भी कोशिकाओं की पुनरुदभवन क्षमता का ही परिणाम है परंतु मनुष्य के पूरे शरीर के किसी बाहरी अंग जैसे- हाथ, पैर में यह क्षमता नहीं पाई जाती।

 छिपकली का वैज्ञानिक नाम एवं विशेष बातें

घरेलू छिपकली का वैज्ञानिक नाम: Lacertilia है
जंगली छिपकली का वैज्ञानिक नाम: Hemidactylus flaviridis है
घरों में पाई जाने वाली छिपकली जहरीली नहीं होती। 
हिंदू धर्म ग्रंथ में छिपकली को माता लक्ष्मी का एक रूप कहा गया है। 
सबसे खास बात यह है कि यदि घर में छिपकली नहीं होगी तो कीड़े मकोड़ों की संख्या लगातार बढ़ती जाएगी। 
लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्यप्रदेश के विदिशा में साइंस की टीचर हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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