भोपाल में पेट्रोल डालकर जला रहे हैं कोरोना पीड़ितों के शव, कर्मचारी जिंदा जल गया होता / BHOPAL NEWS

भोपाल
। हिंदू संप्रदाय में मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके शव के दहन की प्रक्रिया को 'संस्कार' बताया गया है। अंतिम संस्कार के विधि विधान शास्त्रों में उल्लिखित है, जिनका वैज्ञानिक आधार भी है परंतु मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोनावायरस से पीड़ित नागरिकों के शव को पेट्रोल डालकर जलाया जा रहा है।

शास्त्रों के अनुसार दाह संस्कार के नियम

अच्छी तरह से जलाऊ लकड़ी की चिता बनाकर शव को उस पर रहकर और पूर्ण रीति-रिवाज से दाह-संस्कार करना ही श्रेष्ठ कर्म है, अन्य तरीके से दाह-संस्कार करना धर्म विरुद्ध है। दाह संस्कार का मूल उद्देश्य है शरीर के भीतर मौजूद सभी पांच तत्वों को प्रकृति में वापस विलय कर देना। इस प्रक्रिया के लिए अग्नि प्रज्जवलन का तरीका और दाह संस्कार में लगने वाला समय महत्वपूर्ण है। कपाल क्रिया के लिए घी का उपयोग किया जाता है। शव को जल्दी से राख में तब्दील करने के लिए यदि कोई उपाय किया गया तो दाह संस्कार खंडित माना जाएगा।

भोपाल में कोरोना पीड़ितों का दाह संस्कार कैसे किया जा रहा है

गुरुवार दोपहर अस्पताल से भोपाल के बैरागढ़ विश्राम घाट पर कोरोना संक्रमित का शव लाया जाता है। नगर निगम कर्मचारी सुरेश ने बताया कि दोपहर करीब ढाई बजे शव को लाया गया था। तीन निगम कर्मचारी पीपीई किट पहनकर शव को एंबुलेंस से उतारकर अंदर ले जाते हैं। तीनों अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बिछाते हुए शव उस पर रख देते हैं। अच्छी तरह शव के ढक जाने के बाद उस पर पेट्रोल छिड़का जाता है। इसके बाद एक कर्मचारी भूरा को छोड़कर शेष वहां से दूर हो जाते हैं। तीन प्रयासों के बाद माचिस की जलती तीली चिता में डाली गई।

नगर निगम कर्मचारी ने क्यों बताया 

क्योंकि इस दौरान एक गंभीर हादसा होते-होते बचा। मृतक के शव को जल्दी से जलाने के लिए लकड़ी ऊपर डाला गया पेट्रोल अग्नि के संपर्क में आते ही भड़क गया। इसके चलते चिता के पास मौजूद कर्मचारी भूरा का जीवन खतरे में आ गया था परंतु उसमें सूझबूझ से काम लिया और तेजी से दूर की तरफ भाग गया। यदि PPE किट पर पेट्रोल का थोड़ा सा भी अंश होता तो एक गंभीर हादसा हो गया होता है।

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