SC-ST के धनाढ्य लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट / NATIONAL NEWS


नई दिल्ली। अंततः आरक्षण का मुद्दा उस दिशा में आगे बढ़ रहा है जिसके लिए पूरे देश में ना केवल जनमत बन गया है बल्कि सिर्फ जाति के आधार पर आरक्षण मांगने वालों के पास जिसका कोई जवाब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के निर्धन लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति धनाढ्य है तो फिर उसे जाति के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा जातियों की सूची फिर से बनानी चाहिए

जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ऐसा नहीं है आरक्षण पाने वाले वर्ग की जो सूची बनी है वह पवित्र है और उसे छेड़ा नहीं जा सकता। आरक्षण का सिद्धांत ही जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना है। कोर्ट ने कहा, सरकार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की सूची फिर से बनानी चाहिए। 

सरकार का दायित्व है कि आरक्षित जातियों की सूची में बदलाव करे

संविधान पीठ ने अपने एक आदेश में कहा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के भीतर ही आपस में संघर्ष है कि पात्रता के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए। पीठ ने कहा, सरकार का दायित्व है कि सूची में बदलाव करे जैसा कि इंद्रा साहनी मामले में नौ सदस्यीय पीठ ने कहा था।

गरीब SC-ST, आदिवासियों तक आरक्षण का लाभ नहीं पहुंच रहा है

संविधान पीठ ने कहा, आरक्षित वर्ग के भीतर ही सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत लोग हैं। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को सामाजिक मुख्यधारा में लाने की आवाज को लेकर संघर्ष चल रहा है, बावजूद इसके उन्हें आरक्षण का सही मायने में लाभ नहीं मिल पा रहा। इसे लेकर आवाजें उठ रही है।

यह है मामला
कोर्ट ने यह सिफारिश आंध्र प्रदेश के अधिसूचित क्षेत्रों में शिक्षकों की भर्ती में अनुसूचित जनजातियों को 100 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को असांविधानिक करार देने के फैसले में की है। पीठ ने कहा, वह वरिष्ठ वकील राजीव धवन की इस दलील से सहमत है कि आरक्षित वर्गों की सूची पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।

आरक्षण प्रतिशत में बिना छेड़छाड़ के भी सूची में बदलाव है संभव

पीठ ने कहा, आरक्षण प्रतिशत के साथ बिना छेड़छाड़ किए सूची में बदलाव किया जा सकता है, जिससे सही मायने में जरूरतमंदों को लाभ मिल सके न कि उनको जो सूची में शामिल होने के बाद से आरक्षण का लाभ उठा समाज की मुख्यधारा में आ चुके हैं।

राज्यों में आयोगों ने भी की है सिफारिश

पीठ ने कहा, ऐसा देखने को मिला है कि राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में बनाए गए आयोग की रिपोर्ट में सूची में बदलाव की सिफारिश की गई है। आयोग ने सूची में किसी जाति, समुदाय व श्रेणी को जोड़ने या हटाने की सिफारिश की है। जहां ऐसी रिपोर्ट उपलब्ध है वहां राज्य सरकार मुस्तैदी दिखाकर तार्किक तरीके से इसे अंजाम दे।

25 अप्रैल को सबसे ज्यादा पढ़ी जा रहीं खबरें

रेलवे स्टेशन और रेलवे जंक्शन में क्या अंतर है, एक स्टेशन कब जंक्शन बन जाता है 
E-GRAM SWARAJ App Download यहां से करें, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ग्राम पंचायतों के लिए लांच
ज्योतिरादित्य सिंधिया: बीजेपी ज्वाइन करने के बाद भी कांग्रेस के कनेक्शन में क्यों हैं 
स्वामित्व योजना क्या है, इससे क्या फायदा होगा, यहां पढ़िए 
कार की स्टीयरिंग बीच सेंटर में क्यों नहीं होती, साइड क्यों होती है 
लॉकडाउन: सभी प्रकार की दुकानें खोलने के आदेश जारी, शर्तें लागू 
सहकारी समितियां किसानों से कर्जवसूली कर रहीं हैं, रोकिए शिवराज
ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके गढ़ में धूल चटाने कमलनाथ की कोर टीम तैयार 
लॉक डाउन में अमूल ने दाम घटाए, बिक्री बढ़ी, आइसक्रीम नहीं पनीर खा रहे हैं लोग 
मध्य प्रदेश: 159 नए मामले, टोटल 1846, संक्रमित जिलों की लिस्ट से 3 नाम घटे 
SLAP KINGS बना दुनिया का सबसे लोकप्रिय मोबाइल गेम, PUBG और Call Of Duty को पीछे छोड़ा
बेईमान राशन विक्रेता का वीडियो बनाकर भेजें: कलेक्टर 
ग्वालियर 10 मंजिला एमके सिटी में आग, लोग चौथी मंजिल से कूदे 
लॉकडाउन ने उजाड़ा पूरा परिवार, बेटी की हत्या कर माँ ने सुसाइड किया 
SC-ST के धनाढ्य लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट 
जबलपुर में आर्मी ऑफिसर और उसकी पत्नी ने आत्महत्या की 
भोपाल में 8 माह के बच्चे सहित 1 ही परिवार 4 लोग कोरोना पॉजिटिव 
शिवराज सरकार ने घुटने टेके, पेरेंट्स को स्कूल संचालकों के सामने लावारिस छोड़ दिया

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !