यदि डॉक्टर की बात सुनकर मरीज हार्टअटैक से मर जाए तो क्या मामला दर्ज होगा- IPC SECTION-93

डर, भय, सदमा ये तीनों एक दूसरे के समान रूप होते हैं। अगर किसी व्यक्ति के दिमाग में इनका प्रवेश हो जाए तो व्यक्ति समय से पहले या तो पागल हो जाए या मर भी सकता है। अगर किसी व्यक्ति से बोल दे कि दो दिन बाद तेरी मृत्यु निश्चित है तब व्यक्ति सुनकर अटैक से दो दिन पहले भी मर सकता है। 

फांसी की सजा होने वाले कैदियों को पहले ही बता दिया जाता है कि उक्त दिनांक को आपको फांसी दी जाएगी क्या बताने या सूचना देने वाला जज या जेल अधीक्षक अपराधी को यह जानकारी देकर उसे मानसिक पीड़ा देता है या डॉक्टर अपने मरीज को बीमारी की जानकारी देकर उसे ओर मानसिक बीमार करता है एवं इनका यह कार्य अपराध होगा जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 93 की परिभाषा

किसी व्यक्ति को सावधानीपूर्वक दी गई ऐसी सूचना जो भविष्य में उसे गंभीर बीमारी से मृत्यु तक ले जा सकती है एवं यह सूचना मिलते ही व्यक्ति को किसी भी प्रकार की अपहानि होती है तब सूचना देने वाला व्यक्ति धारा 93 के अनुसार अपहानि का जिम्मेदार नहीं होगा।

अर्थात किसी लड़की को एड्स जैसी गंभीर बीमारी है और उसके होने वाले पति को डॉक्टर यह सूचना देता है कि उस लड़की की एड्स जैसी गंभीर बीमारी हैं इसके कारण लडक़ी की शादी टूट जाए तब डॉक्टर द्वारा दी गई सूचना अपराध नहीं होगी न ही लड़की डॉक्टर को इसका जिम्मेदार मानेगी।  :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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