रेंट एग्रीमेंट के फायदे एवं शर्तें - मकान किराये पर देने के नियम - Benefits, Terms and Conditions of Rent Agreement

भारत का लगभग हर व्यक्ति निजी मकान बनाना चाहता है। मकान भी ऐसा जिस में खुद रह सकें और थोड़ा सा हिस्सा किराए पर भी दे सकें। भारत के मिडिल क्लास के लिए मकान उसका पेंशन प्लान भी होता है। जब किरायानामा की बात आती है तो ज्यादातर लोग आस-पास मौजूद किसी नोटरी के पास पहुंचते हैं और उसके निर्धारित फॉर्मेट पर दोनों पक्ष हस्ताक्षर कर देते हैं लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि सब का मकान अलग होता है और सब की शर्तें भी अलग होती है। मकान किराये पर देने के नियम एवं शर्तें निर्धारित की जाती है जिनका उल्लेख रेंट एग्रीमेंट में होना चाहिए। ताकि विवाद ना हो।

मकान किराये पर देने के नियम 

किरायानामा में स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए मकान का कौन सा हिस्सा किराए पर दिया जा रहा है और उसका मासिक किराया कितना होगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से डरने की जरूरत नहीं है। वार्षिक ₹500000 तक की इनकम टैक्स फ्री है। इससे ज्यादा होने की स्थिति में आप अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपर्क कर सकते हैं।
ज्यादातर किरायानामा 11 महीने के लिए बनाया जाता है लेकिन फिर भी रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट रुप से लिखा होना चाहिए कि यदि किराएदार का अनुबंध आगे बढ़ाया जाता है तो किराए में वार्षिक वृद्धि कितनी होगी। सामान्यतः यह 10% होती है परंतु मकान मालिक और किराएदार इसे कम और ज्यादा पर सहमत हो सकते हैं। 
यदि आप 11 महीने से ज्यादा का रेंट एग्रीमेंट बना रहे हैं तो उसको कराना जरूरी है। 

मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले अनुबंध में स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि सिक्योरिटी डिपॉजिट कितना लिया जा रहा है और मकान खाली करने की स्थिति में वापसी के नियम व शर्तें क्या होंगी। 
यदि किराएदार और मकान मालिक के बीच निर्धारित अनुबंध से पहले मकान खाली किया जाता है तो ऐसी स्थिति में नियम व शर्तें क्या होंगे। नोटिस पीरियड का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
किराए के भुगतान एवं पावती की प्रक्रिया हमेशा बैंक के माध्यम से होनी चाहिए ताकि कोई विवाद ना हो।
बिजली, पानी, हाउस टैक्स, सोसाइटी शुल्क, जिम, स्विमिंग पूल, पार्किंग, क्लब की फीस आदि के बारे में किरायानामा में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।

मकान के मेंटेनेंस एवं पेंट के बारे में सभी नियम एवं शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए। 
मकान में टूट-फूट की स्थिति में निराकरण कैसे होगा स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
किरायानामा में पालतू जानवर, देर से आने के नियम, शाकाहार या मांसाहार आदि के बारे में भी स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। 

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