एजुकेशन डेस्क, न्यूज़ रूम, 11 दिसंबर 2025: हमारी अपनी उत्पत्ति की कहानी, जिसे हम अब तक सच मानते आए थे, शायद पूरी तरह से गलत है। हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक अध्ययन ने समय की किताब के पन्नों को पलटकर रख दिया है और हमारे सबसे शुरुआती, सबसे जटिल पूर्वजों के बारे में कुछ हैरान कर देने वाले सच सामने रखे हैं।
वैज्ञानिकों ने कैसे पता किया पृथ्वी पर पहला जीवन कब आया था
अब तक, वैज्ञानिक मानते थे कि यूकेरियोट्स (यानी नाभिक और झिल्ली वाली जटिल कोशिकाएं, जो हमारे जैसे जीवन का आधार हैं) लगभग 2 अरब साल पहले धरती पर आए थे। लेकिन एक नए अध्ययन ने इस पूरी समय-सीमा पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस अध्ययन के अनुसार, ये जटिल कोशिकाएं असल में 2.9 अरब साल पहले मौजूद थीं, यानी हमारी सोच से पूरे एक अरब साल पहले। वैज्ञानिकों ने इस नतीजे पर पहुँचने के लिए 'आणविक घड़ी' (Molecular clock) को सेट करने के लिए जीन डुप्लीकेशन (यानी DNA के खुद को कॉपी करने की घटनाओं) का इस्तेमाल किया। यह वैसा ही है जैसे पेड़ के छल्लों को गिनकर उसकी उम्र का पता लगाना, लेकिन यहाँ हम जीन्स के इतिहास को देख रहे हैं।
लेकिन यह लंबी टाइमलाइन एक और भी चौंकाने वाला सवाल खड़ा करती है: ये प्राचीन जीव आखिर सांस कैसे लेते थे?
बिना पावरहाउस और ऑक्सीजन के एक अरब साल तक हमारे पूर्वज कैसे जीवित रहे
हमारी कोशिकाओं के अंदर माइटोकॉन्ड्रिया नाम के 'पावरहाउस' होते हैं, जो ऊर्जा बनाने के लिए ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं। हम हमेशा से मानते आए हैं कि जटिल जीवन के लिए ये दोनों चीजें (माइटोकॉन्ड्रिया और ऑक्सीजन) जरूरी हैं। यहाँ बात और भी दिलचस्प हो जाती है क्योंकि इस अध्ययन से पता चलता है कि हमारे सबसे पहले जटिल पूर्वज लगभग एक अरब साल तक बिना माइटोकॉन्ड्रिया के ही फले-फूले। उन्होंने उन बैक्टीरिया को अपने अंदर शामिल ही नहीं किया था जो बाद में चलकर माइटोकॉन्ड्रिया बने।
जीवन ने खुद धरती की केमिस्ट्री को आकार दिया
यह वह समय था जब धरती के महासागरों में ऑक्सीजन थी ही नहीं, जिसे हम 'ग्रेट ऑक्सीडेशन इवेंट' से पहले का युग कहते हैं। यह खोज न सिर्फ यह बताती है कि जीवन ने धरती के हिसाब से खुद को ढाला, बल्कि यह भी साबित करती है कि जीवन ने खुद धरती की केमिस्ट्री को आकार दिया। इन शुरुआती जीवों ने ग्रह को उस दुनिया में बदलने में मदद की जिसे हम आज जानते हैं।
यह अहसास कि जटिल जीवन इतने लंबे समय तक बिना ऑक्सीजन के फलता-फूलता रहा, इस अध्ययन के लेखकों के लिए भी गहरा था। जैसा कि सह-लेखक गेरगेली सोजोलोसी बताते हैं:
संचयी जटिलता की प्रक्रिया पहले सोचे गए समय से कहीं अधिक लंबी अवधि में हुई।
धरती तैयार हुई, और जीवन शुरू हो गया
हमारा ग्रह लगभग 4.5 अरब साल पुराना है। ऐसा लगता है कि जीवन ने यहाँ पैर जमाने में बिल्कुल भी देर नहीं की। वैज्ञानिकों के अनुसार, LUCA (सभी जीवों का अंतिम सार्वभौमिक साझा पूर्वज) आज से 4.2 अरब साल पहले मौजूद था। यानी, धरती के रहने लायक बनते ही जीवन की शुरुआत हो गई थी।
और LUCA अकेला नहीं था! आनुवंशिक सबूत बताते हैं कि उसके साथ-साथ और भी कई बैक्टीरिया और वायरस मौजूद थे। इसका मतलब है कि जीवन की और भी शाखाएँ थीं जो समय के साथ विलुप्त हो गईं और अपनी विरासत आज तक नहीं पहुँचा पाईं। यह दिखाता है कि जीवन कितना दृढ़ है और अनुकूल माहौल मिलते ही कितनी तेजी से पनप सकता है।
एक गहरा अतीत, एक नया दृष्टिकोण
यह खोज सिर्फ़ टाइमलाइन नहीं बदलती; यह जीवन की परिभाषा ही बदल देती है कि सबसे मुश्किल परिस्थितियों में भी क्या संभव है। अगर जीवन का इतिहास हमारी कल्पना से कहीं ज़्यादा लंबा और अजीब है, तो हमारे ग्रह के अतीत में और कौन-से अविश्वसनीय रहस्य छिपे हो सकते हैं?
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