वो कहते हैं ना, फैशन अक्सर रिपीट हो जाते हैं और पुराना जमाना कम से कम एक बार वापस जरूर आता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है। एक प्रोडक्ट जो 90 के दशक तक भारत के घर-घर में बनाया जाता था। अब पूरी दुनिया में उसकी डिमांड बढ़ रही है। यह एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसके प्रोडक्शन में चीन भी भारत से जीत नहीं सकता। कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। सारी दुनिया बाहें फैला कर आपका इंतजार कर रही है। बस हाथ उठाइए और जितना चाहें उतना पैसा कमाइए।
Global Growth Insights
Knitting and Crochet Market 2024 में लगभग USD 9.48 बिलियन था, और 2025 में यह USD 10.1 बिलियन, तथा 2034 तक USD 17.85 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। इस बाज़ार में लगभग 44% हिस्सेदारी कपड़ों (sweater, scarves, accessories etc.) की है, 32% हिस्सा blankets / home-textiles आदि का, और बाकी “other applications” का।
DIY (Do–It–Yourself) / handmade culture, sustainable और eco-friendly यार्न्स की बढ़ती मांग, और online crafting communities/trends, इस मार्केट को तेजी से बढ़ा रहे हैं।
कभी सिर्फ “शौक” समझे जाने वाले knitting/crochet अब lifestyle, fashion और home-décor का हिस्सा बन चुके हैं। यानी, demand increasing for handmade, unique, sustainable items.
निष्कर्ष: यह सिर्फ एक सीमित “हॉबी मार्केट” नहीं बल्कि एक असली, बढ़ती हुई इंडस्ट्री है, जिसमें बड़े स्तर पर बिज़नेस अपॉर्चुनिटी क्रिएट हो रही है।
दुनिया में क्या हो रहा है
यूरोप, उत्तरी अमेरिका (North America) में DIY knitting + crochet एक लोकप्रिय pastime और fashion/hobby hybrid बन चुका है। वहाँ sustainable yarns, recycled fibres, eco-friendly crafting पर तेज़ी है।
युवा पीढ़ी (millennials और Gen-Z) में इस ट्रेंड की बहुत पकड़ है। हाथ से बने कपड़े, accessories, home décor items, scarves, hats, blankets आदि पसंद किए जा रहे हैं क्योंकि वे “unique” होते हैं, mass-produced सामान से अलग होते हैं।
Online marketplaces, social media और digital tutorials ने knitting/crochet को accessible बनाया है। लोग घर बैठे सीख रहे हैं और global customer base तक पहुँच पा रहे हैं।
ध्यान से देखिए, पूरा इकोसिस्टम बदल रहा है
इसके अलावा, sustainable fashion और ethical consumerism की बढ़ती जागरूकता के कारण जब लोग mass-produced fast fashion से दूर, eco-friendly और handmade items की ओर झुक रहे हैं तो knitted/crocheted items को एक बड़ा boost मिल रहा है।
भारत में संभावनाएँ
भारत में हाथ से बने वस्त्रों, ऊनी या सूती स्कार्फ़/स्वेटर/बुना हुआ शॉल/बच्चों के कपड़े आदि की मांग बढ़ रही है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ लोग mass-produced कपड़ों से अलग, handmade और artisanal feel चाहते हैं।
साथ ही, भारत जैसे देश में labour-cost comparatively low है। यानी यदि आप उत्पाद स्वयं बनाएँ (या small team के साथ), तो manufacturing cost कम हो सकती है, जिससे handmade items को ग्लोबल लेवल पर competitive price पर बेचा जा सकता है।
कुछ नए प्रयोग जो भारत में हो सकते हैं:
- Eco-friendly yarns: organic cotton, बांस (bamboo), recycled fibers — बढ़ती पर्यावरण-जागरूकता को देखते हुए।
- Fusion designs: पारंपरिक भारतीय डिज़ाइन + Western knitting/crochet styles मिलाकर scarves, stoles, sweaters, bags, home décor बनाएँ।
- Customized/Personalized products: ऑनलाइन ग्राहकों के लिए custom size, color, design — gifting-oriented sweaters/shawls/blankets.
- Workshops / Classes: knitting/crochet सीखने के लिए local workshops या online classes, क्योंकि बहुत से युवा लोग DIY में interest रखते हैं।
कॉलेज स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ, रिटायर्ड कर्मचारी के लिए बिजनेस आइडिया
यह बिजनेस उस demographic के लिए बहुत मुफीद है, जिनके पास समय, थोडा धैर्य और रचनात्मकता (creativity) है।
College-students: अक्सर पढ़ाई के साथ part-time और creative काम करना चाहते हैं। वे online/social-media के जानकार होते हैं, जानना चाहते हैं कि trending क्या है तो handmade scarves, hats, bags, accessories तैयार करके online marketplaces (जैसे Instagram, Etsy-type marketplaces / India में local marketplaces) पर बेच सकते हैं। startup cost low है, इसलिए risk कम है।
हाउसवाइफ: घर से ही काम कर सकती हैं। जहाँ परिवार भी बच्चों या घर वालों की देखभाल कर रही हों। knitting/crochet में flexibility है। आप जब चाहें बना सकती हैं और बेच सकती हैं। इसके अलावा, tradition & artisan skills हो सकता है कि पहले से हों या सीखना आसान हो।
रिटायर्ड कर्मचारी: यदि उनके पास समय है, और वे कुछ रचनात्मक करना चाहते हैं। यह बिजनेस उनकी income supplement बन सकती है। साथ ही, knitting/crochet stress-relief के रूप में अपना recreational काम भी हो सकता है।
असल में, यह बिजनेस किसी “विशेष factory या infrastructure” की मांग नहीं करता। basic yarn, needles/hooks और थोड़ा space लग सकता है। इसलिए यह किसी भी age-group या background के लिए खुला है।
अनुमानित निवेश और प्रॉफिट संभावनाएँ
यह बहुत scalable और flexible बिजनेस हो सकता है। शुरुआत में कम निवेश, बाद में बढ़ा सकते हैं। एक संभावित प्रारूप (example) नीचे:
प्रॉफिट अनुमान (hypothetical):
- मान लीजिए आप एक scarf/hat ₹500 में बनाते हैं, और उसे ₹1,200–₹1500 में बेचते हैं (handmade + unique design)।
- यदि आप महीने में 200 such items बेचते हैं, तो revenue ₹240,000–₹300,000 raw-material + packaging + shipping cost मिलाकर अगर ₹100,000 हो जाए, तो प्रॉफिट ₹140,000–₹200,000 प्रति माह शुरुआत में।
- जैसे-जैसे skill और demand बढ़े, आप designs बढ़ा सकते हैं। sweaters, blankets, personalized orders और प्रॉफिट भी।
- अगर आप यह बिजनेस scale करना चाहें - small team + bulk yarn purchase + better marketing = तो प्रॉफिट कई गुना बढ़ सकता है।
नोट: प्रॉफिट और सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि आप quality, design uniqueness, marketing (online/offline), और customer satisfaction पर कितना ध्यान दें।
जोखिम, चुनौतियाँ और उन्हें कैसे मैनेज करें
Competition from mass-produced cheap garments, machine-made sweaters/blankets बहुत सस्ते हो सकते हैं, इसलिए बनाने वाले को handmade का USP (unique, high-quality, custom, sustainable) अच्छी तरह से प्रेजेंट करना होगा।
Skill & consistency: handmade items में समय लगता है, और यदि आप large volume देना चाहते हैं, तो समय + मेहनत + consistency चाहिए।
Supply chain / raw-material sourcing: अच्छा yarn, hooks, packaging materials, और अगर आप export या pan-India बेचेंगे, तो shipping/courier का ध्यान देना होगा।
Marketing & customer reach: सिर्फ बनाना पर्याप्त नहीं; social media, online marketplaces, अच्छा photography, ग्राहक विश्वास आदि ज़रूरी हैं।
लेकिन ये चुनौतियाँ बड़े obstacles नहीं हैं। सही दृष्टिकोण, मेहनत, रचनात्मकता और समय देने की इच्छाशक्ति हो, तो सफल हो सकते हैं।
“Knitting & crocheting” सिर्फ एक शौक नहीं एक वास्तविक, बढ़ता हुआ बिजनेस अवसर है। अगर आप थोड़ा समय, मेहनत और रचनात्मक सोच दें, चाहे आप छात्र हों, हाउसवाइफ हों या रिटायर्ड कर्मचारी, आप small-scale से शुरुआत कर सकते हैं और धीरे-धीरे scale up भी कर सकते हैं। लेखक - उपदेश अवस्थी।
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