जमानत बन्ध-पत्र (बेल बॉन्ड) कब भंग हो सकता है - LEARN CrPC SECTION 120

अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की लोकशान्ति में बाधा उत्पन्न करता है, सरकार के विरुद्ध या वर्गों के विरुद्ध घृणा उत्पन्न करता है आदि कोई ऐसा कार्य करता है जिससे किसी भी प्रकार की लोकशान्ति या परिशान्ति में संकट पैदा करे तब कार्यपालक मजिस्ट्रेट (DM, SDM, तहसीलदार आदि) ऐसा अपराध न करने के लिए व्यक्ति से एक परिसीमा निश्चित कर बेल बॉन्ड अर्थात सिक्योरिटी जमानत लेगा कि वह कोई लोकशान्ति को भंग नहीं करेगा। 

ज्यादातर ऐसा तब होता है जब कोई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं तब बहुत से लोग ऐसे भड़काऊ भाषण देते रहते हैं एवं लोगो को दुष्प्रेरित करते हैं। अगर बन्ध-पत्र निष्पादित करने के बाद भी व्यक्ति वैसा ही अपराध करे तब किस धारा के अंतर्गत उसका बन्ध-पत्र भंग होगा जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 120 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 111 के आदेश के बाद न्यायालय में बंधपत्र निष्पादित करता है स्वयं को सदाचारी बनाये रखने के लिए तब ऐसा बंधपत्र व्यक्ति को लोकशान्ति भंग करने से रोकेगा। 

अगर व्यक्ति कोई ऐसा काम करता है जो भारतीय दण्ड संहिता में उपबंधित कोई कारावासीय अपराध हो या किसी को ऐसा अपराध करने से दुष्प्रेरण करेगा। उसके द्वारा यह अपराध कही भी किया जाए तब उसके द्वारा दिया गया बंधपत्र भंग (निरस्त) हो जाएगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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