कब कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी को पेशी से छूट दी जा सकती है - LEARN CrPC SECTION 115

व्यक्ति को सदाचार में लाना राज्य सरकार का कर्तव्य है, राज्य का यह भी कर्तव्य है कि वह एक लोक-कल्याणकारी राज्य की स्थापना करें एवं राज्य में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए हर सम्भव प्रयास करता रहे। इसलिए न्यायपालिका के साथ कार्यपालिका को भी लोक-शांति बनाये रखने की बहुत सी जिम्मेदारी दी गई है। 

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 ऐसे व्यक्ति को सदाचार बनाने के लिए जो शान्ति व्यवस्था को भंग करता है कार्यपालिका मजिस्ट्रेट को शक्ति देता है कि वह लोक-शांति के लिए संबंधित व्यक्ति से बॉन्ड(जमानत बन्ध-पत्र) ले सकता है। अगर कोई ऐसा व्यक्ति न्यायालय में किसी काऱण उपस्थित नहीं होता है तब वह अपने वकील के माध्यम से उपस्थित हो सकता है या नहीं आज की धारा 115 में बताते हैं जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 115 की परिभाषा:-

अगर कार्यपालक मजिस्ट्रेट को लगता है कि किसी कारण अर्थात परिवार में किसी की मृत्यु हो गई हो, शादी-विवाह हो, व्यक्ति स्वंय या परिवार का सदस्य बीमार हो, किसी पुलिस हिरासत में हो आदि कोई भी समस्या उत्पन्न हो गई है तब ऐसा व्यक्ति जो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 (लोक-शांति को भंग करने वाला व्यक्ति)  के अंतर्गत आने वाला है वह अपने स्थान पर किसी वकील को न्यायालय में हाजिर के लिए उपस्थित कर सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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