क्या आप जानते हैं, ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली ग्रह सूर्य को भी कोरोना होता है। शास्त्रों में प्रावधान है कि ऐसे समय में मनुष्यों को लॉकडाउन हो जाना चाहिए। यदि वे घर से बाहर सूर्य की रोशनी में निकलते हैं तो पीड़ित हो सकते हैं। आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा, चलिए इसे सरल करते हैं ताकि सबको आसानी से समझ में आ जाए:-
सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देने वाले भाग को सूर्य का मुकुट (Crown of Sun) के अलावा सूर्यकिरीट यानी Corona भी कहा जाता है। जोकि सूर्य की सबसे बाहरी परत है। इस सूर्य किरीट या कोरोना से सूर्य ग्रहण के समय से एक्स-रे तथा अल्ट्रावायलेट किरण उत्सर्जित होती हैं। सूर्य की यही अल्ट्रावायलेट किरणें मनुष्यों के लिए काफी हानिकारक मानी जाती हैं और शास्त्रों में विधान है कि ऐसे समय में जबकि सूर्य ग्रहण हो, लोगों को लॉकडाउन रहना चाहिए। मानव समाज का एक बड़ा वर्ग सदियों से इस नियम का पालन करता रहा है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ग्रहण के समय सूर्य को (सूर्य नहीं बल्कि सूर्यकिरीट यानी Corona को) नग्न आँखों से नहीं देखना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के बाद सैनिटाइजेशन किया जाता है
भारतीय संस्कृति में कोरोना के प्रभाव के बाद सैनिटाइजेशन की परंपरा भी सदियों पुरानी है। शास्त्रों में उल्लेख है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कोई भी खाद्य पदार्थ खुला हुआ एवं सीधे वायु के संपर्क में नहीं होना चाहिए। इसलिए सूतक काल से ही सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों को बर्तनों में बंद कर दिया जाता है। सूर्य के संक्रमण के दौरान ना तो भोजन किया जाता है और यथासंभव जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। संक्रमण काल के बाद सूतक समाप्त हो जाने पर भारत के शास्त्रों में निर्धारित पद्धति से घर एवं मंदिर आदि भवनों का सैनिटाइजेशन किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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