भारत में चोरों के हाथ और बलात्कारियों का अंग क्यों नहीं काटा जाता - LEARN IPC SECTION 53

कई बार आवाज उठती है। अपराधी को तत्काल और प्रतिकार वाला दंड दिया जाए। कभी-कभी भीड़ अपने तरीके से न्याय करती है और उसे उचित ठहराने का प्रयास करती है। दुनिया में कई देश है जहां चोरों के हाथ काट दिए जाते हैं और बलात्कारियों को नपुंसक बना दिया जाता है परंतु भारत में ऐसा नहीं होता। आइए जानते हैं भारत में ऐसा क्यों नहीं होता। दुनिया में कुल कितने प्रकार के दंड सिद्धांत है और भारतीय दंड संहिता में किस प्रकार के दंड सिद्धांत का उपयोग किया जाता है। 

1. निवारणार्थ सिद्धांत:- अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का अपराध करता है, तो ऐसे व्यक्ति के अपराध का दण्ड निवारण करके दिया जाता है।
2. प्रतिकार का सिद्धांत:- बदला लेने का दण्ड प्रतिकार होता है, जैसे- हत्या के बदले हत्या, चोट के बदले चोट आदि।
3. प्रतिरोध का सिद्धांत:- किसी व्यक्ति को रोककर रखकर अपराध के दण्ड की सजा देना अर्थात किसी कोठरी में कैद करके रखना आदि।
4. सुधारात्मक सिद्धांत:- भारतीय दंड संहिता में अपराध के दण्ड लिए सुधारात्मक सिद्धांत लागू है, इसमे अपराधियों में सुधार लाने के लिए उन्हें कारावास में रखा जाता है वहाँ उन्हें काम सिखाया जाता है, शिक्षा भी दी जाती है ताकि सजा खत्म होने के बाद वो दोबारा से कोई अपराध को अंजाम न दे।
5. प्राश्चित (स्वयं पछतावा करना):- किसी भी अपराध को करके व्यक्ति स्वयं को उस अपराध का दोषी मानकर प्राश्चित करे।

भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 53 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-

भारत में न्यायालय किसी भी अपराध के लिए सुधारात्मक दण्ड प्रक्रिया अपनाई जाती है, इसका मुख्य उद्देश्य अपराधों को रोकना एवं कारावास में भेज कर अपराधियों को सुधारना होता है। इस प्रकार दण्ड निर्धारण का सम्पूर्ण कार्य भारतीय न्यायालय को सौंपा गया है। न्यायालय अपराधी को निम्न प्रकार के दण्ड दे है।
1. मृत्यु दण्ड:- न्यायालय कुछ कतिपय या जघन्य अपराधों में अपराधियों को मृत्यु दण्ड दे सकता है।
2. आजीवन कारावास:- न्यायालय अपराधी को आजीवन कारावास की सजा दे सकता है लेकिन न्यायालय अपने विवेक पर आरोपी की आजीवन कारावास जी सजा को कम भी कर सकता है।
3. निर्वासन:- अर्थात देश निकाला करना या काला पानी (भारतीय दण्ड संहिता से यह दण्ड सन 1949 में हटा दिया गया है अब)।
4. कारावास:- कठोर कारावास श्रम के साथ या सदा कारावास।
5. संपत्ति का समपहरण:- संपत्ति को वसूल करना जो अवैध कार्य से बनाई गई हो।
6. जुर्माना:- किसी व्यक्ति पर किसी कम गंभीर अपराध या कोई सिविल विवाद में हर्जाना के लिए अपरोपित व्यक्ति पर जुर्माना लगा देना।
उपर्युक्त दण्ड भारतीय न्यायालय द्वारा किसी अपराधी को उसके अपराध के अनुसार दिए जाते है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

कानूनी जानकारी से संबंधित 10 सबसे लोकप्रिय लेख

कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम क्यों खिलाते थे, रामायण पर क्यों नहीं है
सरकारी अधिकारी निर्दोष नागरिक को जबरन रोककर रखे तो IPC की किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा
अधिकारी, कोर्ट में गलत जानकारी पेश कर दे तो विभागीय कार्रवाई होगी या FIR दर्ज होगी
क्या जमानत की शर्तों का उल्लंघन अपराध है, नई FIR दर्ज हो सकती है
एक व्यक्ति अपराध करे और दूसरा सिर्फ साथ रहे तो दूसरा अपराधी माना जाएगा या नहीं
रात के समय किसी के घर में चोरी छुपे घुसना किस धारा के तहत अपराध है
यदि कोई मर्जी के बिना घर में घुस आए तो क्या FIR दर्ज करवाई जा सकती है
धूम्रपान करने वालों के खिलाफ IPC की किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
आम रास्ते में रुकावट पैदा करने वाले के खिलाफ किस धारा के तहत FIR दर्ज होती है
गर्भपात के दौरान यदि महिला की मृत्यु हो गई तो जेल कौन जाएगा डॉक्टर या पति
यदि जबरदस्ती नशे की हालत में अपराध हो जाए तो क्या सजा से माफी मिलेगी

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !