अधिकारी-कर्मचारी के घर बाल मजदूरी कितना गंभीर अपराध है, यहां पढ़िए - पढ़िए MP CIVIL SERVICES (Conduct) RULES 1965

भारत में यदि कोई आम नागरिक 14 वर्ष से कम आयु के बालक अथवा बालिका से अपने घर में नौकर की तरह काम करवाता है तो उसके खिलाफ श्रम कानूनों के तहत कार्यवाही होगी परंतु यदि आरोपी कोई शासकीय सेवक है, तो अपराध को और भी गंभीर माना जाता है। मध्यप्रदेश शासन का मानना है कि शासकीय कर्मचारियों को नियमों का पालन करना चाहिए। यदि उल्लंघन करते हैं तो उन्हें शासकीय सेवक होने का अधिकार नहीं है।

मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 की धारा 23 (क) की परिभाषा:-

अगर मध्यप्रदेश का कोई शासकीय सेवक 14 वर्ष से कम उम्र के बालक या बालिका को किसी भी प्रकार के रोजगार पर रखेगा, जैसे:- घर का काम, ऑफिस की सफाई, गाड़ी की धुलाई,कोई भी छोटा से छोटे काम, लोकसेवक द्वारा किया गया ऐसा कृत्य नियम की धारा 23(क) उल्लंघन मना जाएगा। 

बाल मजदूरी करवाने वाला अधिकारी-कर्मचारी बर्खास्त किया जाता है 

भारत में बाल मजदूरी करवाना गंभीर अपराध है। इसे बंधुआ मजदूरी के समकक्ष माना गया है। इस अपराध में अपराधी बच्चों से उनका शिक्षा का अधिकार एवं विकसित होने का अवसर छीन लेता है। मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र का बालक अथवा बालिका, चाहे वह स्वयं अथवा उसके माता पिता या फिर पालक को कोई आपत्ति ना हो फिर भी बालक-बालिकाओं को काम पर नहीं रखा जा सकता। यदि कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी ऐसा करता है तो नियम 23क के तहत उसे बर्खास्त किया जाएगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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