क्या अवैध घोषित किए गए कार्यक्रम/ प्रदर्शन में शामिल होने की कोशिश करना भी अपराध है, पढ़िए IPC SECTION 151

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कई बार प्रशासन को पहले से पता चल जाता है कि उनके न्याय क्षेत्र में कोई विधि विरुद्ध जमाव होने जा रहा है। आम नागरिकों के सामने स्थिति स्पष्ट करने एवं आयोजकों को ऐसा करने से रोकने के लिए SDM या फिर प्राधिकृत अधिकारी मजिस्ट्रेट उसे सार्वजनिक रूप से अवैध घोषित कर देता है। इसमें शामिल होना अपराध है परंतु क्या इसमें शामिल होने के लिए घर से बाहर निकलना भी अपराध है। आइए आईपीसी से पूछते हैं:-

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 151 की परिभाषा:-

अगर कोई पाँच या पाँच से अधिक व्यक्ति ऐसे जमाव में सम्मिलित होने वाले हैं जिसे तिरर-बितर करने का आदेश किसी प्राधिकृत अधिकारी (मजिस्ट्रेट) द्वारा दिया गया है तब ऐसे व्यक्ति धारा 151 के अंतर्गत दोषी होंगे। इस तरह के लोगों को विधि विरुद्ध जमाव में शामिल होने से पहले ही हिरासत में लिया जा सकता है। मौजूद सक्षम अधिकारी लोगों को विधि विरुद्ध जमाव के लिए चेतावनी देगा यदि फिर भी नहीं माने तो गिरफ्तार करके 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करेगा।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 145 एवं 151 में अंतर

दण्ड संहिता की धारा दोनो ही एक जैसी है पर अंतर बहुत है, धारा 145 वहाँ लागू होगी जहाँ विधि विरुद्ध जमाव लगा हुआ है और उसे तिरर बितर करने का आदेश दिया गया है तब भी जमाव मे बने रहना और धारा 151 वहाँ लागू होगी जहाँ जमाव लगने वाला हो उससे पहले ही मजिस्ट्रेट द्वारा उसे विधि विरुद्ध घोषित कर दिया हो। इस आदेश को जानते हुए भी सम्मिलित होना। दोनो अपराध की सजा में भी अंतर है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 151 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- छः माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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