जलयान को क्षतिग्रस्त करना आईपीसी की किस धारा के अंतर्गत अपराध होगा जानिए - ASK IPC

कुछ दिन पहले हमने जलयान यानी नाव या पानी के जहाज आदि से संबंधित धारा 433 में आपको बताया था की कोई व्यक्ति जलयान को गुमराह करने के लिए रात में लगे प्रकाश चिन्हों को नष्ट करेगा या हटाएगा तब वह वह व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अन्तर्गत दोषी होगा। वैसे ही हम आपको धारा 437 से 439 की धारा मे जलयान में होने वाले अपराधों के बारे में जानकारी देंगे। 

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 437 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी तल्लायुक्त अर्थात जल में चलने वाला कोई भी जलयान या ऐसा जलयान जो बीस टन या उससे अधिक वजन वाला हो, को सापद (कम उपयोग) बना देगा या क्षतिग्रस्त करेगा या जलयान में तोड़फोड़ करेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 437 के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 437 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार सत्र न्यायालय में होता है। सजा- 10 वर्ष तक की कारावास और जुर्माने से दाण्डित किया जा सकता है।

उधरणानुसार:- नर्मदा नदी में मछुआरों द्वारा जो नावे नदी किनारे रात के समय में लगी हुई थी, मछुआरे इन नावों में अंदर जाकर तोड़फोड़ करते हैं। ऐसा करने में नावों की कीमत काम हो जाती है या कम उपयोग हो जाती है। तब मछुआरों द्वारा जानबूझकर किया गया ऐसा कार्य धारा 437 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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