महोदय जी, विषयांतर्गत लेख है कि DET 2020 में विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा मनमर्जी अनुसार PHD अध्यादेश को दरकिनार कर प्रतीक्षा सूची (30 मई 2020) में चयनित 44 विद्यार्थियों की कोर्सवर्क कक्षा समयावधि पूर्ण हुए बिना ही एवं समयावधि (अध्यादेशानुसार 06 माह) के पूर्व परीक्षा आयोजित कराने की कार्यवाही करवाना जिसका कि पीएचडी अध्यादेश में भी कहीं पर उल्लेखित नहीं है कि प्रतीक्षा सूची वालों विद्यार्थिंयों को छोड़कर आप कोर्सवर्क की परिक्षाओं का आयोजन कर सकें।
हम सभी 44 विद्यार्थिंयों के भविष्य के साथ धोखा किया जा रहा है जो कि न्यायाेचित नहीं है क्योंकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समय-समय पर पीएचडी संबंधित संशोधन निकलते हैं, हम नहीं चाहतें कि भविष्य में किसी कारण हमारी पीएचडी रद्द हो अत: हमें भी पूर्ण अधिकार है कि हमारी कोर्सवर्क कक्षाऐं आयोजित की जावें, और हमें भी पूर्ण 06 माह का समय दिया जाए तथा साथ ही डीईटी 2020 के मेरिट सूची के समस्त विद्यार्थिंयों और प्रतिक्षा सूची के विद्यार्थियों की एक साथ ही कोर्सवर्क परीक्षा और RDC का आयोजन किया जावे। जिससे हमारा भविष्य बर्बाद होने से बचे।
पूर्व में ही विश्वविद्यालय के द्वारा समय पर प्रतिक्षा सूची जारी नहीं की गई है जिसमें विश्वविद्यालय की लापरवाही उजागर हुई है, जिससे हम पूर्व में ही मानसिक तनाव में हैं और पिछड गए है। यदि हमें प्रतीक्षा सूची (30 मई 2020) में चयनित 44 विद्यार्थियों की कोर्सवर्क कक्षा संपादित किए बिना ही एवं समयावधि (अध्यादेशानुसार 06 माह) के पूर्व विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा सिर्फ प्रथम चयनित सूची के अभ्यार्थियों की कोर्सवर्क कक्षाएं संपन्न कराकर मेरिट विद्यार्थिंयों की परीक्षा आयोजित की जाती है तो विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली हम सभी प्रतीक्षा सूची के 44 विद्यार्थिंयों के भविष्य के साथ धोखा किया जा रहा है, जो कि न्यायाेचित नहीं है एवं हमे मानसिक प्रताडित करने की सुनियोजित योजना है।
(समस्त प्रतीक्षा सूची विद्यार्थी डी.ई.टी. 2020)