JEE MAIN EXAM: शिवराज सिंह की बस नहीं आई, पेरेंट्स को छोड़ने आना पड़ा / BHOPAL NEWS


भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की एक और घोषणा झूठी पड़ गई। मुख्यमंत्री ने कहा था कि JEE MAIN के ऐसे उम्मीदवार जिन्हें किसी दूसरे शहर में परीक्षा देने जाना है, सरकार की तरफ से फ्री कन्वेंस उपलब्ध कराया जाएगा। आज परीक्षा वाले दिन स्टूडेंट्स वेट करते रहे लेकिन शिवराज सिंह की बस नहीं आई। फाइनली पेरेंट्स को इमरजेंसी अरेंजमेंट करके परीक्षा केंद्रों तक छोड़ने के लिए आना पड़ा।

परीक्षा केंद्र पर पेरेंट्स के लिए पेयजल तक नहीं

राजधानी में आज से जेईई मेन्स एग्जाम शुरू हो गए हैं। यहां अयोध्या बाइपास स्थित परीक्षा केंद्र तक छात्र बड़ी मुश्किलों से एग्जाम देने पहुंचे। अभिभावकों का कहना था कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सकी। अभिभावकों को खुद ही बच्चों को लेकर सेंटर तक पहुंचाना पड़ा। परीक्षा केंद्र की स्थिति यह है कि अभिभावकों को सेंटर के अंदर बैठने तक के लिए जगह नहीं दी गई। 2 दरवाजे के बाहर खड़े परीक्षा खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। बाहर पीने के लिए पानी तक नहीं है।

हेल्पलाइन नंबर 181 ने सुविधा देने से मना कर दिया

भोपाल से 120 किमी की दूरी तय कर आने वाले अभिभावकों में नाराजगी देखी गई। शासन द्वारा विद्यार्थियों के उपलब्ध नि:शुल्क परिवहन सेवा का उन्हें लाभ नहीं मिल पाया। नरसिंघगढ़ से निजी वाहन कर आईं तब्सुम गौरी ने कहा कि उनकी बहन की परीक्षा दिलाने भोपाल आना था। जब वे शासन द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल किया तो उन्हें कहा गया कि जब चार बच्चे जाएंगे, तब लेकर चलेंगे। तब उन्होंने निजी वाहन का सहारा लिया। वहीं कमल टेंगोरिया ने कहा कि 181 पर फोन लगाने पर बात नहीं हो पाई।

एग्जाम आज से 6 सितंबर तक होगा। राजधानी में परीक्षा के लिए चार सेंटर बनाए गए हैं। हर शिफ्ट में 240 स्टूडेंट्स ही परीक्षा दे सकते हैं। भोपाल से इस बार करीब 7 हजार छात्र शामिल हो रहे हैं। इनमें से करीब 2500 छात्र आसपास के शहरों के हैं। 

खुद अपने इंतजाम करके बच्चों को सेंटर पर लाना पड़ा

अभिभावकों ने आरोप लगाए कि सरकार ने सिर्फ घोषणा की है। सुविधा कुछ नहीं दी। कई बार कॉल करने के बाद भी फोन नहीं लगा तो खुद ही अपने इंतजाम करके बच्चों को सेंटर पर लाना पड़ा। उनका कहना था कि जब हमें ही सब करना था, तो वायदे क्यों किए। सिर्फ दिखावे के लिए परिवहन की सुविधा दी गई। कहीं ऐसा तो नहीं सरकारी कागजों में बसे दौड़ रही हो, किसी को क्या पता बाद में पेमेंट भी हो जाएगा।

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