जिसको जहां समझ में आए, कोरोना का इलाज कराएं, प्रशासन नहीं रोकेगा / BHOPAL NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में खतरनाक स्तर से ऊपर जा चुके कोरोनावायरस के संक्रमण के मामले में प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अब जबकि राजधानी में 1000 से ज्यादा एक्टिव केस हो गए हैं, प्रशासन कोरोनावायरस के इलाज की जिम्मेदारी से पीछे हटने की तैयारी कर रहा है। संक्रमित लोगों को 'इलाज की आजादी' के नाम पर विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

भोपाल कमिश्नर श्री कवींद्र कियावत ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के डायरेक्टर्स को एक मीटिंग में बुलाकर अपनी क्षमता और संसाधनों के साथ तैयार रहने के लिए कहा। कमिश्नर ने कहा कि अपने संस्थान में कोविड-19 के उपचार के लिए आवश्यक स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और सुविधाओं की तैयारियां शुरू कर दे। मीटिंग में में कलेक्टर अविनाश लवानिया भी मौजूद थे। 

संभागायुक्त श्री कियावत ने निर्देश दिए कि सभी अस्पताल जो अपने स्तर पर उपचार की सुविधाएं और व्यवस्थाएं विकसित कर सकते हैं वे सभी आगामी परिस्थितियों के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दें। अपने संस्थान में भी बिना लक्षण वाले कोविड पॉजिटिव व्यक्तियों के उपचार की सुविधा विकसित करें। वे व्यक्ति जो अपने इलाज का खर्च वहन कर सकते हैं वे आपके संस्थानों में आपका नियत उपचार शुल्क अदा करके उपचार करा सकते हैं। 

कुल मिलाकर कोरोनावायरस के मरीजों के साथ भी वही स्थितियां बनने वाली हैं जो हार्ट अटैक या एक्सीडेंट के मरीजों के साथ बनती हैं। सरकारी अस्पतालों में 'जगह खाली नहीं है' कहकर मरीजों को लौटा दिया जाएगा। 108 एंबुलेंस मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने के बजाय प्राइवेट अस्पताल की एंबुलेंस में शिफ्ट कर देगी। मध्यप्रदेश में हार्ट अटैक और एक्सीडेंट में फ्रैक्चर वाले मरीजों के साथ यही होता रहा है। मीडिया में हजारों बयान और सरकारी फाइलों में सैकड़ों शिकायतें औपचारिक रूप से दर्ज है।

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