मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा, IAS अफसरों को मंत्री जैसे अधिकार दे दिए / MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित श्यामला हिल्स के सूत्रों द्वारा बताया जा रहा था कि 17 मई के बाद मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा लेकिन 15 मई 2020 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक अति महत्वपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन आदेश कुछ और ही बयां कर रहा है। नई व्यवस्था में विभागों के प्रमुख अधिकारियों को मंत्री के समान अधिकार सौंप दिए गए हैं। 

मध्यप्रदेश में आईएएस अफसरों को मंत्री जैसे अधिकार 

सामान्य प्रशासन विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 15 मई 2020 को जारी अतिमहत्वपूर्ण कार्यपालक नियम पालन (व्यवस्था परिवर्तन) आदेश क्रमांक एफ 1-2/2020/एक(1) के अनुसार (सरल शब्दों में) ऐसे सभी विभाग जिनका चार्ज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है, उनसे संबंधित फाइल जो पहले सीधे विभाग के मंत्री के सामने प्रस्तुत की जाती थी, अब ऐसा नहीं होगा। नई व्यवस्था के अनुसार इस तरह की सभी फाइल पहले उस विभाग के सबसे बड़े आईएएस अफसर (अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव) के पास जाएगी और वहां से मुख्यमंत्री के पास आएगी। यानी मंत्री विहीन विभागों के सिस्टम में मंत्री को हटाकर आईएएस अफसर को फिट कर दिया गया है। यह आदेश 15 मई को जारी किया गया है तो क्यों ना यह विश्वास कर लिया जाए कि लॉकडाउन 4 में मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं होगा। 


यह रहा सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश क्रमांक एफ 1-2/2020/एक(1) 

प्रति, समस्त अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, मध्यप्रदेश शासन, शासन के समस्त विभाग, मंत्रालय।
विषय: मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियम का पालन करने के संबंध में।

मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियमों मे वर्तमान में ऐसे विभाग जिनका प्रभार माननीय मुख्यमंत्री जी के पास है के प्रकरण एक से अधिक बार माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं। इस व्यवस्था में सरलीकरण हेतु निम्नानुसार निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का कष्ट करें:

1. ऐसे समस्त विभाग जिनके भारसाधक मंत्री वर्तमान में माननीय मुख्यमंत्री जी हैं और यदि विभाग किसी ऐसे मामले को भारसाधक मंत्री के रूप में माननीय मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनार्थ प्रेषित करना चाहता है, जिसमें वित्त/विधि एवं विधायी कार्य/सामान्य प्रशासन विभाग अथवा अन्य किसी विभाग का अभिमत प्राप्त किया जाना आवश्यक हो, तो ऐसे प्रकरणों में प्रथमत: नस्ती पहले इन विभागों को भेजी जावेगी तथा उस पर संबंधित अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, विभाग की ओर से अभिमत देंगे एवं तत्पश्चात उक्त अभिमत के साथ नस्ती माननीय भारसाधक मंत्री एवं मुख्यमंत्री (मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियम के अनुसार यदि समन्वय में मुख्य सचिव के माध्यम से भेजा जाना है तब प्रकरण समन्वय में) के रूप में निर्णयार्थ प्रेषित करेंगे।

2. ऐसे अन्य विभाग जिनमें भारसाधक मंत्री के रूप में मंत्री प्रभार में हैं, के प्रकरणों में भारसाधक मंत्री के प्रशासकीय अनुमोदन उपरांत प्राप्त होने वाले ऐसे मामलों में, जिनमें वित्त/विधि एवं विधायी कार्य/सामान्य प्रशासन विभाग या अन्य किसी विभाग का अभिमत प्राप्त किया जाना आवश्यक हो, तो नस्ती पहले इन विभागों को भेजी जावेगी तथा उस पर संबंधित अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, विभाग की ओर से अभिमत देंगे और नस्ती संबंधित विभाग को अभिमत के साथ लौटा दी जावेगी। अभिमत प्राप्त होने के उपरांत संबंधित विभाग द्वारा नस्ती माननीय मुख्यमंत्री जी (मध्यप्रदेश कार्यपालक शासन के कार्य नियम के अनुसार, यदि समन्वय में मुख्य सचिव के माध्यम से भेजा जाना है तब प्रकरण समन्वय में) के रूप में निर्णयार्थ प्रेषित की जायेगी। 

3. कार्य नियमों के अनुसार कई प्रकरण मंत्रि-परिषद के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं, ऐसे मामलों में विधिवत् संक्षेपिका बना कर पहले भारसाधक मंत्री से अनुमोदन लेना होगा (अगर माननीय मुख्यमंत्री जी भारसाधक मंत्री हैं तो संक्षेपिका उनके समक्ष प्रस्तुत की जावेगी) तथा तदोपरांत सभी विभागों का अभिमत प्राप्तकर, यदि अभिमत देने वाले विभागों के प्रभार माननीय मुख्यमंत्री जी के पास है तो अभिमत अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्तर से दिया जाकर, इसका शब्दश: उल्लेख संक्षेपिका में किया जाकर, नस्ती समन्वय में मंत्रि-परिषद अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जावेगी।
(विनोद कुमार ) अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग


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