हमने आपको बताया कि बाल विवाह की योजना बनाना, तैयारियां करना भी एक गंभीर अपराध है (यहां पढ़ें), हमने यह भी बताया कि यदि बाल विवाह संपन्न हो जाता है तब भी उसे मान्यता नहीं दी जाती। प्रशासन द्वारा ऐसे विवाह को शून्य घोषित कर दिया जाता है (यहां पढ़ें)। अब प्रश्न उठता है कि यदि बाल विवाह के पश्चात किसी संतान का जन्म होता है, तो उसे कानूनी रूप से जायज माना जाएगा या नाजायज। आइए इस प्रश्न का उत्तर पड़ते हैं:-
बाल विवाह अधिनियम, 2006 की धारा 06 की परिभाषा
यदि किसी लड़की का विवाह के लिए निर्धारित आयु से पूर्व विवाह हो जाता है और प्रशासन द्वारा उनका विवाह शून्य घोषित कर दिया जाता है। तब ऐसी लड़की अपने कथित पति की संपत्ति में कानूनी उत्तराधिकारी नहीं होगी परंतु उसकी संतान कानूनी रूप से वैध यानी जायद संतान होगी। उसे उसका पिता का नाम मिलेगा और उत्तराधिकार भी मिलेगा।
सरल हिंदी भाषा में कहें तो बाल विवाह के बाद जब तक लड़का एवं लड़की विवाह योग्य आयु प्राप्त नहीं कर लेते तब तक उनका संबंध कानूनी रूप से अवैध रहेगा। लड़की भले ही पत्नी के रूप में धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करें और समाज उसे लड़के की पत्नी की मान्यता दें फिर भी कानूनी रूप से ऐसी लड़की, पत्नी नहीं कह लाएगी परंतु उसकी संतान को वह सभी कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे, जो कानूनी रूप से मान्य विवाह के उपरांत जन्म लेने वाली संतान को प्राप्त होते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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