जेल में बंद कैदी को गवाही के लिए कैसे बुलाते हैं, कानूनी प्रक्रिया पढ़िए- CrPC 1973

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अध्याय 22 में जेलों में बंद व्यक्तियों की किस प्रकार मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिरी होगी इसके बारे में नियम बताती है। संहिता की धारा 266 दो परिभाषों को स्पष्ट करती है 

(1) 'निरुद्ध, अर्थात निवारक निरोध एक ऐसा कानून जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को कुछ समय के लिए बंद या नजर बंद करके रखा जाता है। 
(2) 'कारागार' अर्थात ऐसी कोई जेल जो राज्य सरकार के आदेश द्वारा अस्थाई समय के लिए बनाई गई है जैसे:- व्यक्तियोँ द्वारा जेल भरो आंदोलन किया जा रहा है तब सरकार स्कूल, कॉलेज या सुधारालय, होस्टल आदि।
अगर जेल में बंद किसी भी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट साक्षी के तौर पर न्यायालय बुलाता है तो क्या प्रक्रिया होगी जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 267 की परिभाषा:-

जब कभी किसी अपराध की कोई  सुनवाते, विचारण या अन्य कोई कार्यवाही न्यायालय में चल रही है तब न्यायालय को ऐसा लगता है कि कारागार में बंद व्यक्ति को साक्षी या बयान के लिए बुलवाना हैं या कोई परीक्षा करवाना है तब-

1. अगर बंदी व्यक्ति को द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होना है तब सूचना को जेल अधीक्षक के पास भेजा जाएगा लेकिन ऐसी सूचना या आदेश पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर होना आवश्यक है तभी वह आदेश वैध होगा।

2. अगर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को लगता है की अभी बंदी व्यक्ति को बुलाना आवश्यक नहीं है तब वह ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर करने से इनकार भी कर सकता है।

साधारण शब्दों में कहे तो कोई भी द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट बिना मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर के  जेल में बंद व्यक्ति को साक्षी के रूप में नहीं बुला सकता है आदेश पर CJM के हस्ताक्षर होना अतिआवश्यक हैं तब ही जेल अधीक्षक को आदेश भेजेगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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