पुलिस रिमांड क्या होती है, क्या DM-SDM भी किसी को पुलिस रिमांड पर भेज सकते हैं - CrPC SECTION-167

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समाचार माध्यमों से अक्सर हमें पता चलता है कि किसी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को कोर्ट द्वारा पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। बहुत सारे लोगों को लगता है कि पुलिस रिमांड का मतलब होता है एक अंधेरे कमरे में गिरफ्तार व्यक्ति को बंद करके पिटाई करना। आइए पढ़ते हैं कि क्या लोगों का अनुमान सही है। पुलिस रिमांड क्या होती है और क्या कार्यपालक मजिस्ट्रेट यानी कलेक्टर अथवा एसडीएम किसी व्यक्ति को पुलिस रिमांड पर भेज सकते हैं:-

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-167 की परिभाषा (सरल भाषा में):-

पुलिस अधिकारी जो किसी क्राइम का इन्वेस्टिगेशन कर रहा है। उसने अपने पास उपलब्ध सबूतों के आधार पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है परंतु गिरफ्तार व्यक्ति से विस्तृत जानकारी एकत्रित करने के लिए इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को अधिक समय की आवश्यकता है तब पुलिस ऑफिसर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगा एवं रिमांड की डिमांड करता है। ऐसी स्थिति में मजिस्ट्रेट अपने विवेक के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस रिमांड पर भेज सकता है। रिमांड की अवधि अधिकतम 15 दिवस तक हो सकती है।

अगर कोई व्यक्ति पर ऐसा आरोप है जिस अपराध की सजा मृत्युदंड, आजीवन कारावास या 10 वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान है तब ऐसे आरोपी को मजिस्ट्रेट 90 दिनों  के लिए न्यायिक अभिरक्षा अर्थात जेल में भेजेगा।

लेकिन अगर अपराध अन्य मामलों में है तब किसी भी आरोपी को मजिस्ट्रेट अधिकतम 60 दिनों की न्यायिक अभिरक्षा में भेज सकता है इससे अधिक नहीं।

क्या DM या SDM किसी व्यक्ति को पुलिस रिमांड पर भेज सकते हैं:-

कोई भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट अर्थात DM, SDM, महानगरीय मजिस्ट्रेट धारा 167 की उपधारा (2क) के अनुसार तब आरोपी को अभिरक्षा में भेजेगा जब क्षेत्र का अधिकृत न्यायिक मजिस्ट्रेट अचानक छुट्टी पर चला गया हो अथवा उससे संपर्क नहीं हो पा रहा हो। 

कार्यपालक मजिस्ट्रेट किसी भी आरोपी को अधिकतम सात दिनो की अभिरक्षा में या पुलिस रिमांड में भेज सकता है। लेकिन अन्वेषण करने वाला पुलिस अधिकारी एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट इसकी एक रिपोर्ट कारण सहित लिखित रूप न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेजेगा।

अगर कोई महिला (स्त्री) आरोपी की उम्र 18 वर्ष से कम है तब उसे रिमांड के लिए न पुलिस अभिरक्षा एवं न ही न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जाएगा। मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसी स्त्री को धारा 167 (2क) के आधीन मान्यता प्राप्त किसी सामाजिक संस्था या गृह में रखा जाएगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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