माचिस की तीली किस लकड़ी से बनती है, माचिस का आविष्कार किसने और कब किया - GK in Hindi

माचिस का उपयोग तो अपन सब करते हैं। यह भी अपन जानते हैं कि माचिस के अविष्कार से पहले आग जलाने के लिए चकमक पत्थर का उपयोग किया जाता था और आग को जलाना काफी मुश्किल होता था। माचिस ने इस प्रक्रिया को काफी आसान कर दिया है। अपने सामने सवाल यह है कि माचिस की तीली किस लकड़ी से बनाई जाती है और माचिस का आविष्कार किसने एवं कब किया। चलिए पता लगाते हैं:- 

माचिस की तीली में किस पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है 

ज्यादातर लोगों को इसके बारे में नहीं पता लेकिन वह यह जरूर जानते हैं कि किस कंपनी की माचिस की तीली अच्छी होती है और ज्यादा देर तक जलती है। दरअसल, माचिस की तीली कई प्रकार की लकड़ियों से बनाई जाती है। सबसे अच्छी माचिस की तीली अफ्रीकन ब्लैकवुड से बनती है। पाप्लर नाम के पेड़ की लकड़ी भी माचिस की तीली बनाने के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कुछ कंपनियां जलाऊ लकड़ी से माचिस की तीली तैयार करती हैं। इस प्रकार की तीली ज्यादा देर तक नहीं जलती बल्कि कई बार जल्दी से बुझ जाती है।

माचिस की तीली के सिरे पर कौन सा केमिकल लगा होता है 

माचिस की तीली की तेरे पर फास्फोरस का मसाला लगाया जाता है। फास्फोरस अत्यंत ही ज्वलनशील रासायनिक तत्व है। हवा के संपर्क में आते ही अपने आप जल जाता है इसलिए माचिस की तीली पर मिलावटी फास्फोरस लगाया जाता है। इसमें पोटैशियम क्लोरेट, लाल फॉस्फोरस, ग्लू, पिसा हुआ कांच, सल्फर और स्टार्च की मिलावट की जाती है। यदि सामान्य जलाऊ लकड़ी से माचिस की तीली बनाई गई है तो कई बार उस पर ऐमोनियम फॉस्फेट अम्ल से लेप करते हैं। 

माचिस का आविष्कार कब हुआ, अविष्कारक का नाम क्या है

माचिस का आविष्कार 31 दिसंबर 1827 में हुआ था। आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक का नाम जॉन वॉकर है जो ब्रिटेन में वैज्ञानिक थे। जॉन वॉकर ने एक ऐसी माचिस की तीली बनाई थी जिसे किसी भी खुरदरी जगह पर रगड़ने से व जल जाती थी। यह काफी खतरनाक था और कई लोग दुर्घटना का शिकार हुए।

जॉन वॉकर ने माचिस की तीली पर एंटिमनी सल्फाइड, पोटासियम क्लोरेट और स्टार्च लगाया था। रगड़ने के लिए रेगमाल का उपयोग किया जाता था। नतीजा यह था कि कई बार माचिस की तीली छोटा सा विस्फोट कर देती थी। जब यह जलती थी तो काफी बदबू आती थी।

1832 में फ्रांस में एंटिमनी सल्फाइड की जगह फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया गया जिससे गंधक की गंध की समस्या का तो समाधान हो गया लेकिन जलते वक़्त निकले वाला धुँआ भी काफी विषैला होता था। इसके बाद 1855 में स्वीडन ट्यूबकर ने दूसरे रासायनिक पदार्थों के मिश्रण का इस्तेमाल कर एक सुरक्षित माचिस बनाई जिनका आज तक इस्तेमाल किया जा रहा है। 

भारत में सन 1927 में शिवाकाशी में नाडार बंधुओं ने माचिस का उत्पादन शुरू किया। इससे पहले तक भारत में माचिस या तो विदेश से आती थी या फिर विदेशी कंपनियों ने भारत में माचिस के प्लांट लगाए हुए थे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

मजेदार जानकारियों से भरे कुछ लेख जो पसंद किए जा रहे हैं

(general knowledge in hindi, gk questions, gk questions in hindi, gk in hindi,  general knowledge questions with answers, gk questions for kids, ) :- यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!