आजकल ज्यादातर लोग मुर्गा को चिकन के नाम से जानते हैं। मांसाहारी लोग मुर्गे की टांग खाना पसंद करते हैं लेकिन प्रकृति में मुर्गे की टांग से ज्यादा मुर्गे की बांग का महत्व है। मुर्गा एक ऐसा पक्षी है जो सूर्योदय से पहले बांग देता है और मुर्गे की बांग को सुनकर जैसे पूरी प्रकृति भगवान सूर्यनारायण का स्वागत करने लगती है। सवाल यह है कि मुर्गा सूर्योदय से पहले बांग क्यों देता है। वह कभी लेट क्यों नहीं होता।
मुर्गे की बांग का खास तरीका
वैसे आजकल यह थोड़ा दुर्लभ हो गया है लेकिन यदि कभी आपने देखा हो तो मुर्गे की बांग देने का तरीका अपने आप में बड़ा खास होता है। वह सबसे पहले बाहर निकल कर आता है। फिर चारों तरफ ध्यान से देखता है और उसके बाद बांग देना शुरू कर देता है। उसकी आवाज सुनकर आसपास के दूसरे मुर्गे भी बाहर निकल आते हैं और बांग देने लगते हैं। सबके बीच में एक खास किस्म का तालमेल होता है। जब एक मुर्गे की आवाज बंद होती है तब दूसरा मुर्गा आवाज निकालता है। यानी वह शोर नहीं करते और अनुशासन में रहते हैं।
मुर्गे को कैसे पता चलता है कि सूर्य उदय होने वाला है
वैज्ञानिकों का कहना है कि मुर्गी के अंदर सिरकेडियन रिंग (एक प्रकार का सेंसर) पाई जाती है। इसी के कारण मुर्गे को यह पता चल जाता है कि थोड़ी देर बाद सूर्य उदय होने वाला है। खास बात यह है कि मुर्गे के अंदर लगा हुआ यह सेंसर (सिरकेडियन रिंग) उसकी उम्र के साथ ज्यादा अच्छा काम करने लगता है। इसीलिए सबसे पहले वह मुर्गा बाहर निकलता है जिसकी उम्र सबसे ज्यादा होती है। हमको लगता है कि मुर्गों की बस्ती का मुखिया बाहर निकल कर आया है।
मुर्गे की बांग को नोटिस क्यों किया जाता है
सूर्योदय के साथ पूरी प्रकृति कोई ना कोई प्रतिक्रिया जरूर करती है। पेड़ों के पत्तों में भी सूर्योदय के समय हलचल होती है। लगभग सभी पक्षी अपने तरीके से आवाज निकालते हैं परंतु मुर्गा एक पालतू पक्षी है और सिरकेडियन रिंग के कारण सूर्योदय से पहले जब प्रकृति में शांति होती है, तब बांग देता है इसलिए उसे सबसे ज्यादा नोटिस कर लिया जाता है।
मुर्गे की बांग (आवाज) की तीव्रता कितनी होती है
यह जानकर भी आपको आश्चर्य होगा कि मुर्गे की बांग की तीव्रता 143 डेसीबल होती है और मनुष्य 130 डेसिबल से ज्यादा तीव्रता वाली आवाज सुनने पर बहरा हो सकता है। बावजूद इसके हर रोज मुर्गे की बांग सुनने वाले इंसान बहरे नहीं होते, क्योंकि मुर्गा कभी इंसान के पास खड़े होकर बांग नहीं देता। वह इस बात का ध्यान रखता है कि बांग देते समय इंसानों से उसकी पर्याप्त दूरी हो।
क्या मुर्गा सचमुच इंसानों को जगाने के लिए बांग देता है
सबसे मजेदार बात यह है कि केवल मुर्गा ही बांग देता है। मुर्गी यह काम नहीं करती। और सबसे लास्ट में सबसे खास बात यह है कि मुर्गा इंसानों को जगाने के लिए बांग नहीं देता बल्कि अपने परिवार के दूसरे लोगों को जगाने के लिए ऐसा करता है। जब सुनिश्चित कर लेता है कि उसके परिवार के सभी लोग बाहर निकल आए हैं तो वह बांग देना बंद कर देता है।
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