बॉन्ड नहीं भरने पर न्यायालय किस प्रकार का कारावास दे सकता है - LEARN CrPC SECTION 122

पिछले कुछ लेखों में हम आपको दण्ड प्रक्रिया संहिता के अध्याय- 8 की धाराओं के बारे मे बता रहे हैं। अध्याय आठ कार्यपालक मजिस्ट्रेट को यह शक्ति देता है कि वह परिशान्ति या लोकशान्ति कायम रखने के लिए व्यक्ति से जमानत बंधपत्र मांग कर सकता है एवं धारा 106(सत्र न्यायाधीश) एवं 107(कार्यपालक मजिस्ट्रेट) से 124 तक इनकी शक्तियों का  अलग अलग उल्लेख किया है। आज कि धारा 122 जमानत बंधपत्र देने में असफल व्यक्ति को किस प्रक्रिया का कारावास दिया जाएगा ये बताती है।

दण्ड़ प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा-122 की परिभाषा(सरल शब्दों में):-

किसी व्यक्ति को धारा 106(दोषसिद्ध अपराधी से दण्डादेश के समय शान्ति कायम के लिए) धारा 117【ऐसे व्यक्ति जो धारा-107(बल्वा करने वाला व्यक्ति, धारा-108 (राजद्रोहात्मक बाते करने वाला व्यक्ति), धारा- 109 (संदिग्ध व्यक्ति), धारा- 110(आदतन अपराधी)】 के अधीन प्रतिभूति देने के लिए आदेश दिया गया है, इस तारीख को आदेश जारी है उस तारीख से के बाद एवं अंतिम तारीख जो भी प्रतिभूति जमा करने की दिनांक निश्चित है वह जमानत बंधपत्र निष्पादित नहीं करता है या निष्पादित करनें में असफल रहता है तब:-

मजिस्ट्रेट(न्यायिक एवं कार्यपालक) व्यक्ति को उस समय तक कारावास में   अभिरक्षा में रखेगा जितनी परिसीमा के लिए उसे जमानत बंधपत्र में लोकशान्ति कायम रखने के लिए आदेश दिया गया था।

परिशान्ति कायम रखने के लिए जमानत बंधपत्र की नहीं देने के लिए व्यक्ति को सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा एवं धारा 109 (संदिग्ध व्यक्ति, धारा 110(आदतन अपराधी) को न्यायालय कठिन या सादा कारावास से दण्डित कर सकता है।

अगर कोई अपराधी जेल में बंदी है तब वह व्यक्ति जेल अधीक्षक को जमानत बंधपत्र निष्पादित कर सकता है एवं जेल अधीक्षक का कर्तव्य होगा की वह ऐसे बंधपत्र को तुरंत न्यायिक या कार्यपालक मजिस्ट्रेट को निर्देशित करेगा एवं न्यायालय या मजिस्ट्रेट के आदेश की प्रतीक्षा करेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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