गाय को माता क्यों मानते हैं, दूध तो भैंस भी देती है - GK in Hindi

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शास्त्रों में उल्लेख और धार्मिक कथाएं भी हैं परंतु अपन साइंस की बात करते हैं। प्रश्न एकदम स्पष्ट है। दुधारू पशुओं की प्रजातियां कम नहीं है। भैंस के अलावा मादा ऊंट, बकरी एवं भेड़ का दूध भी मनुष्यों के लिए काफी फायदेमंद होता है फिर केवल गाय को ही माता क्यों मानते हैं। सभी दुधारू पशुओं को माता का दर्जा क्यों नहीं दिया गया।

गाय को माता का दर्जा देने के पीछे वैज्ञानिक कारण

नवजात शिशु एवं बच्चों के लिए गाय का दूध श्रेष्ठ होता है। क्योंकि वह आसानी से हजम हो जाता है। डॉक्टर भी कहते हैं कि यदि नवजात शिशु को मां का दूध नहीं मिल सकता तो गाय का दूध पिलाना चाहिए।
​सिर्फ गाय के दूध में ए-2 पाया जाता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है। कैंसर रोग से बचाता है। पाचन तंत्र के लिए लाभदायक है।
गाय प्रत्येक स्थिति में मनुष्य का पालन करती है। उसकी बछिया बड़ी होकर गाय बन जाती है और बछड़ा बैल के रूप में खेती के काम आता है। 
गाय का गोबर भी उपयोगी होता है। उपले बनाकर ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है, आंगन में लीप देंगे तो कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाते हैं। वायरस पैदा नहीं होते।
गाय का मूत्र भी औषधि माना गया है। आयुर्वेद के अलावा एलोपैथिक लैब में भी इसके गुण प्रमाणित हुए हैं। घर में गाय के मूत्र का छिड़काव भी किया किया जाता था। 

गाय के दूध में 16 प्रकार के मिनरल्स होते हैं। जो किसी और दुधारू पशुओं के दूध में नहीं मिलते। 
गाय के दूध से बना घी सुपाच्य होता है। बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी सेवन कर सकते हैं। 
शास्त्रों के अनुसार मां शब्द की उत्पत्ति गोवंश से ही हुई है। ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर सबसे पहले गाय को ही भेजा था। यानी हम गाय को माता का दर्जा नहीं देते बल्कि गाय ही माता है। महिलाओं को माता पुकार कर हम उन्हें गाय के समान जीवन के लिए सबसे उपयोगी का दर्जा देते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article

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