जांच में साबित हो जाए कि कोई शांति के लिए खतरा है तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी - LEARN CrPC SECTION 117

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 116 यह बताती है कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट को कोई सूचना मिलती है कि कोई व्यक्ति लोकशान्ति या राष्ट्रीय एकता अखंडता में प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है तब वह आदेश, समन वारण्ट के द्वारा ऐसे व्यक्ति को उपस्थित कर जाँच तक जमानत बन्ध-पत्र ले सकता है। जाँच समयानुसार पूरी कर ली जाती है एवं शिकायत सही पाई जाती है तब दोबारा जमानत पत्र दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 117 के अंतर्गत लिया जाएगा एवं इसकी क्या शर्ते होगी जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 117 की परिभाषा:-

अगर किसी व्यक्ति की धारा 116 के अंतर्गत जाँच पूरी हो जाती है एवं यह साबित हो जाता है कि व्यक्ति परिशान्ति भंग कर सकता है तब उस व्यक्ति को सदाचार बनाए रखने के लिए दोबारा जमानत बन्ध-पत्र निम्न शर्तो के अनुसार ले सकते हैं:-

1. धारा 111 के अधीन किसी भी व्यक्ति से अधिक अवधि के लिए जमानत बंधपत्र की सीमा नहीं होगी अर्थात धारा 107 (लोकशान्ति भंग) के लिए एक वर्ष से अधिक नहीं, धारा 108 (राजद्रोहात्मक बातें फैलाने वाले व्यक्ति) के लिए एक वर्ष से अधिक नहीं, धारा 109 (संदिग्ध व्यक्ति) के लिए एक वर्ष से अधिक नहीं, धारा 110 (आदतन अपराधी) के लिए तीन वर्ष से अधिक अवधि तक जमानत बंधपत्र नहीं लिया जाएगा।

अगर कोई व्यक्ति अवयस्क है तब उससे जमानतदार के द्वारा ही जमानत बंधपत्र लिया जाएगा एवं जमानतदार की जबाबदारी होगी कि वह कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जिससे लोकशान्ति भंग होगी भविष्य में।

:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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