भोपाल। जब पूरे मध्यप्रदेश में संक्रमण कम हो रहा है शिवपुरी जिले में पॉजिटिविटी रेट मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 38% तक पहुंच गया है। RTPCR जांच में पॉजिटिविटी रेट 85% तक पहुंच गया था। इस रिजल्ट के बाद सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि शिवपुरी में कलेक्टर और कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए नियुक्त किए गए प्रभारी मंत्री अपने कर्तव्य में फेल हो गए हैं।
अच्छे काम के मामले में बुरहानपुर नंबर वन
कुछ जिलों के कलेक्टरों ने अच्छा काम किया है। बुरहानपुर कलेक्टर और प्रभारी मंत्री नंबर वन पर है। महाराष्ट्र की सीमा पर होने के कारण कोरोनावायरस यहां कहर बनकर टूट पड़ा था परंतु तेजी से कंट्रोल किया गया और आज बुरहानपुर की पॉजिटिविटी रेट मध्य प्रदेश में सबसे कम 2% है।
छिंदवाड़ा, खंडवा, अशोकनगर और भिंड में भी अच्छा काम हुआ
इसी तरह छिंदवाड़ा में पॉजिटिविटी रेट 5% है। प्रदेश का यह पहला जिला है, जो दूसरी लहर के शुरुआत में ही अलर्ट मोड में आ गया था। यहां सबसे पहले सौंसर में कर्फ्यू लगाया गया था। इन दो शहरों के अलावा खंडवा में 6%, अशोकनगर में 7% और भिंड में औसत पॉजिटिविटी रेट 8% है।
असफल नेता और अधिकारी ही जनता को दोष देते हैं
यहां इस बात को ध्यान रखना होगा कि संक्रमण के लिए जनता को केवल वही अधिकारी और नेता दोषी बताते हैं जिनमें लीडरशिप और मैनेजमेंट का गुण नहीं होता। पिछले 5000 साल से भारत की जनता कभी जागरूक और अनुशासित नहीं थी। जिन जिलों में अच्छा काम हुआ है, शुरुआत में हालात वहां भी बहुत बुरे थे लेकिन जब अच्छे लोग अच्छा काम करने की कोशिश करते हैं तो परिणाम भी अच्छे आते हैं। निश्चित रूप से इस आरोप में सत्यता प्रतीत होती है कि हालात केवल वहीं बुरे हैं जहां नेता और अधिकारी आपदा में सेवा का अवसर नहीं बल्कि किसी और प्रकार का अवसर तलाशने के लिए लगातार मीटिंग कर रहे हैं।