समाचार पत्र-पत्रिकाओं की जब्ती एवं तलाशी वारंट कब और कौन जारी कर सकता है - LEARN CrPC SECTION 95

कहते हैं कि मीडिया (प्रेस) लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और संविधान के अनुच्छेद 19(1) में प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार बताया गया है एवं पुस्तकों को भी ज्ञान का भंडार माना गया है। भारत में नियमानुसार समाचार-पत्र हो या कोई भी पुस्तकें या पत्रिकाएं कोई ऐसे जानकारी प्रकाशित नहीं करेगा जिससे कि भारत देश की एकता-अखंडता या सरकार के खिलाफ विद्रोह की भावना प्रकट हो। तब राज्य सरकार ऐसे मामले को तुरंत संज्ञान में ले सकती है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(2) भी यही नियम उल्लेखित करता है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 95 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-

अगर राज्य की सरकार को लगता है कि किसी समाचार पत्र, पुस्तक, रेखाचित्र, वीडियो, फोटोचित्र, रंगचित्र कोई भी रजिस्ट्रीकरण संस्था प्रेस या पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1867 में है जो अपने प्रकाशन में ऐसे शब्दों का प्रकाशन करेगा जिसे कोई 
राजद्रोह (IPC की धारा 124-क), 
वर्गों के बीच शत्रुता (IPC की धारा 153-क), 
राष्ट्रीय एकता-अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले ऐसे शब्द (IPC की धारा 153-ख), 
अश्लील पुस्तक,पत्र, पत्रिकाओं को बेचना प्रकाशन करना (IPC की धारा 292),  
नाबालिग बालक-बालिकाओं को अश्लील पुस्तक, पत्र, पत्रिकाओं या वस्तु का विक्रय करना (IPC की धारा 293), 
किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास में भेदभाव उत्पन्न करवाना (IPC की धारा 295 क) के अपराध से संबंधित है,

तब न्यायालय उस समाचार पत्र, पत्रिका, पुस्तक आदि के अंक की प्रत्येक प्रति को जब्त करने या समपहरण के लिए कोई भी मजिस्ट्रेट ऐसे पुलिस अधिकारी को तलाशी वारण्ट सौंपेगा जो सब-इंस्पेक्टर से ऊपर की पंक्ति का हो, वह पुलिस अधिकारी ऐसी परिसर, कार्यालय में जाकर तलाशी लेगा और प्राप्त हुई जो भी सामग्री को अपनी अभिरक्षा में तुरंत लेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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