भगोड़े सैनिक को जहाज में छुपाना अलग तरह का अपराध है, - पढ़िए IPC SECTION 136

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 136 में हमने पढ़ा था कि किसी भी भगोड़े या युद्ध के समय एक तरफा त्यागपत्र देने वाले किसी भी सेना के सैनिक या अधिकारी को जो व्यक्ति आश्रय देगा वह उपर्युक्त धारा के अंतर्गत अपराधी मना जाएगा। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि भगोड़ा सैनिक किसी व्यक्ति के घर या उसकी संपत्ति में शरण नहीं लेता बल्कि किसी जलयान में जाकर छुप जाता है। इंडियन नेवी के सैनिकों के लिए यह सबसे आसान होता है। इस तरह के मामलों में भगोड़े सैनिक को जहाज में छुपाने वाले व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी में धारा 137 का प्रावधान किया गया है।

भारतीय दण्ड संहिता ,1860 की  धारा 137 की परिभाषा:-

अगर कोई आर्मी, नेवी,एयर फोर्स के सैनिक जो अपना त्यागपत्र देकर या ड्यूटी छोड़ कर भागता है,और कोई जलयान का मालिक या प्रभारी ऐसे सैनिक को अपने जहाज में आश्रय देता है तब वह आश्रय देने वाला व्यक्ति धारा 138 के अंतर्गत दोषी होगा।
[नोट:- यहाँ इस धारा में एक बात बहुत ही ध्यान देने योग्य है कि अगर उस जहाज के मालिक या प्रभारी को पता भी नहीं है कि सैनिक भगोड़ा है और वह जहाज में छिपा है तब भी यह धारा लागू होगी।]

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 137 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- इस अपराध के लिए अपराधी को 500 रुपये देना पड़ता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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