क्या सचमुच चंद्रमा के पानी से मोती बनता है - SCIENCE की बातें

पृथ्वी पर पाई जाने वाली बहुमूल्य रत्नों में से हीरे के बाद दूसरे नंबर पर आता है मोती। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहा जाता है कि चंद्रमा का पानी जो समुद्र में गिरता है, वह मोती बन जाता है। शायद यह बात इसलिए भी कही जाती है क्योंकि ज्योतिष में मोती को चंद्रमा का प्रतिनिधि रत्न बताया गया है। हिंदू परंपराओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। प्रश्न यह है कि क्या सचमुच मोती का निर्माण चंद्रमा के पानी (अमृत) से होता है। आइए विज्ञान की किताब से पता करते हैं:-

मोती का निर्माण कौन करता है

जिस प्रकार शंख का निर्माण होता है उसी प्रकार संघ मोलस्का के अंतर्गत आने वाले सीपियों द्वारा स्रावित बाह्यकंकाल (Exoskeleton) से  मोती का निर्माण होता है। शंख की तरह यह भी कैलशियम कार्बोनेट का बना एक आवरण होता है। pinctada vulgaris नामक मौलस्क से कीमती मोती का निर्माण करता है।

मोतियों का निर्माण कैसे होता है/ the process of Pearl culture

मुक्ता सीपियों में यह गुण पाया जाता है कि जब उनके कवच की आंतरिक स्तर जिसे मुक्ताभ या नेकर (Nacre) कहते हैं, में किसी प्रकार की क्षति या जब कोई बाहरी पदार्थ पहुंच जाता है। तो उसके चारों तरफ से उससे रक्षा हेतु एक कवच स्रावित होता है जो स्तरीयकरण (layering) द्वारा बढ़ता है और वर्षों बाद चमकीले मोती के रूप में बदल जाता है। 

सबसे मूल्यवान मोती कौन सा होता है और यह सीपी क्या होता है

सामान्यतः सभी सीपियों में मोती निर्माण की क्रिया होती है लेकिन यह निम्न स्तर के पत्थर के समान होते हैं परंतु मुक्ता सीपियों द्वारा बने मोती मूल्यवान और वास्तविक होते हैं। सीपी ( Unio, mussel) pinctada vulgaris,  unio की ही एक प्रजाति है जिससे कीमती मोती प्राप्त होते हैं।Pinctada vulgaris को oyester भी कहा जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (science question answer in hindi, साइंस क्वेश्चन आंसर, science questions and answers general knowledge, general science question answer in hindi, science general knowledge question answer,)

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