सरपंच या उपसरपंच के दो से अधिक बच्चे हैं तो क्या वह अपने पद से अयोग्य माना जाएगा, जानिए/ indain constitution

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भारत में पंचायती राज व्यवस्था की नींव राजस्थान में रखी गई थी, देश के तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1959 में, 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी।  हर साल देशभर में 24 अप्रैल को 'राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस' मनाया जाता है। कह सकते हैं कि भारत के प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम प्रधान होता है जिसे सरपंच कहा जाता है और उसका एक सहायक होता है उसे उपसरपंच कहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की ज्यादातर जनसंख्या अशिक्षित होती है। लोगों को पता ही नही रहता है कि सरपंच या उपसरपंच की क्या योग्यता है, क्या अयोग्यता है। 

आज का हमारा सबाल यही है कि क्या क्या ग्राम पंचायत के सरपंच या  उपसरपंच के दो से अधिक बच्चें है तो क्या वह सरपंच या उपसरपंच बना रह सकता है? इसका जबाब है। नहीं क्योंकि हमारे देश का उद्देश्य परिवार नियोजन कार्यक्रम को बढ़ावा देना है। इस लिए ग्राम प्रधान या उपप्रधान  ग्राम का एक जिम्मेदार नागरिक हैं,वह ही ऐसा होगा तो उसको ग्राम पंचायत के सरपंच या उपसरपंच के पद से अयोग्य मना जाएगा।

महत्वपूर्ण वाद- *जावेद बनाम हरियाणा राज्य:-*

उच्चतम न्यायालय ने देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अधिनिर्धारित किया है कि हरियाणा राज्य द्वारा पंचायराज अधिनियम में किए गए उपबन्ध के अंतर्गत सरपंच या उपसरपंच के पद धारण करने के लिए दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को अयोग्य घोषित करना विधिमान्य एवं संवैधानिक हैं। इस मामले में याचिकाकर्ता ने इस आधार पर चुनोती दी थी कि वह प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है और विभेदकारी है। उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि उक्त उपबन्ध द्वारा किया गया वर्गीकरण बोधगम्य अन्तरक पर आधारित हैं एवं इसका उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है। दो बच्चे वाले व्यक्तियों ओर दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्तियों के बीच किया गया वर्गीकरण संवैधानिक हैं।

:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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