रिष्टि का अपराध भारत में सबसे ज्यादा होता है, लेकिन थानों में दर्ज नहीं होता - ASK IPC

भारतीय दंड संहिता की धारा 425 से 440 तक रिष्टि के अपराध के संबंध में विस्तार से विवरण एवं सजा के प्रावधान दिए हुए हैं। यह कुछ ऐसे अपराध है जो भारत में सबसे ज्यादा होते हैं लेकिन पुलिस थानों में दर्ज नहीं किए होते। क्योंकि इसके बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं होती। कभी कोई पीड़ित पुलिस थाने पहुंच जाता है तो पुलिस किसी अन्य धारा में मामला दर्ज कर लेती है। आपकी बाइक या फिर स्कूटर के सीट कवर को फाड़ देने से लेकर आपके आवश्यक दस्तावेजों को नष्ट करने तक और आपकी अंगूठी नदी-नाले में फेंक देने से लेकर आपके घर तक पहुंचने वाले रास्ते को जाम कर देने तक सभी प्रकार के ऐसे अपराध जो आम मनुष्य को तंग करने के लिए किए जाते हैं रिष्टि का अपराध कहलाते हैं।

क्या है रिष्टि का अपराध?:-

रिष्टि को अंग्रेजी भाषा में Mischief अर्थात नुकसान, हानि या क्षति कहा जाता है। यहाँ पर रिष्टि का अपराध किसी व्यक्ति को नुकसान, हानि या क्षति पहुंचाने से नहीं होता है। रिष्टि का अपराध व्यक्ति की चल-अचल संपत्ति को हानि पहुचाने से होता है या कोई संपत्ति को इस तरह से नुकसान पहुचाया गया हो जिससे उसके मूल्य में कोई कमी आ गई हो। तब रिष्टि का अपराध होता है। 

भारतीय दण्ड संहिता,1860  की धारा 425:-

धारा 425 रिष्टि के अपराध की परिभाषा को स्पष्ट करती हैं, उपर्युक्त धारा के अनुसार रिष्टि करने वाले व्यक्ति के अंदर निम्न आवश्यक तत्वों का होना जरूरी है:-
1. आरोपी ने किसी संपत्ति को जानबूझकर नष्ट (नुकसान) किया हो या संपत्ति की स्थिति में कोई परिवर्तन किया हो।
2.अगर आरोपी के कारण किसी संपत्ति के मूल्य में कोई कमी आ गई हो। या उसकी उपयोगिता में कमी आ गई हो।
3. आरोपी ने किसी जनता को या किसी व्यक्ति-विशेष को उसकी वैध संपत्ति को हानि पहुचाने से की गई हो।

महत्वपूर्ण उधरणानुसार:-

1. रामू ,किसी संस्था से कुछ लोन लेता है, और स्टाम्प पर यह शपथ देता है कि वह पैसे को नहीं लौटाएगा तो उसकी संपत्ति जो भी हैं वह संस्था अपने कब्जे में कर लेगी। लेकिन रामू पैसे लेने के बाद जो शपथ पत्र के कागजात थे उनको जला देता है। यहाँ पर रामू ने रिष्टि का अपराध किया है।
2.  अगर क नामक व्यक्ति ख की कोई अंगूठी जानबूझकर नदी में फेंक देता है तब क ने ख की संपत्ति का नुकसान किया है। यहाँ क, ने रिष्टि का अपराध किया है।
3. सूखासिंह बनाम सम्राट:- आरोपी के नाम डाक द्वारा एक रजिस्ट्री पत्र आया। पोस्टमास्टर ने उससे पत्र लेकर उसकी पावती(रसीद) पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा, लेकिन हस्ताक्षर करने की बजाय उसने पावती रसीद को फाड़ दी और उसके टुकड़े टुकड़े करके जमीन पर फेंक दिए। न्यायालय द्वारा यह विनिशिचत किया कि पोस्ट रसीद डाक घर की संपत्ति होने के कारण आरोपी ने रिष्टि का अपराध किया था।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 426 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अंतर्गत कम से कम गंभीर रिष्टि के अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है। कम गंभीर वाली रिष्टि का अपराध समझौता योग्य होता है। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता है। इनकी सुनवाते का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा:- तीन माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

नोट:- इस धारा के अंतर्गत रिष्टि के अपराध का दण्ड सामान्य (कम गंभीर) नुकसान या क्षति से है। विशिष्ट अपराध या गंभीर अपराधों के लिए अलग अलग दण्ड का प्रावधान होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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