मध्य प्रदेश: कलेक्टर की मदद से फरार हुआ टैक्स चोर करोड़पति कारोबारी ? / SATNA MP NEWS


भोपाल। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं सतना कलेक्टर श्री अजय कटेसरिया पर बड़ा आरोप लगता दिखाई दे रहा है। 17 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोपी करोड़पति कारोबारी पवन अहलूवालिया ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। जीएसटी इंटेलिजेंस का कहना है कि उसे सतना से दिल्ली जाने के लिए कलेक्टर एवं CMHO ने परमिशन दी थी। जीएसटी इंटेलिजेंस को संदेह है कि इस प्रकार सतना कलेक्टर ने वारंटी उद्योगपति को फरार होने में मदद की है।

क्या जीएसटी इंटेलिजेंस कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है 

अब बड़ा प्रश्न यह है कि यदि जीएसटी इंटेलिजेंस के पास श्री अजय कटेसरिया (सतना कलेक्टर) को आरोपित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य एवं तथ्य हो तब क्या वह अपने स्तर पर कोई कार्रवाई कर सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जीएसटी इंटेलिजेंस द्वारा इस मामले में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी) और केंद्रीय वित्त मंत्रालय से शिकायत की जा सकती है। 

मामला क्या है

जीएसटी इंटेलीजेंस की टीम ने 5-12 अगस्त के बीच कारोबारी पवन अहलुवालिया के सतना और मैहर सीमेंट सहित 28 ठिकानों पर छापे मारकर 17 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी थी। टैक्स चोरी का 5 करोड़ रुपए से अधिक होने के कारण पवन अहलूवालिया के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। वारंट जारी होने के बाद उद्योगपति पवन अहलूवालिया को गिरफ्तार किया जाना था।

सतना से वारंटी उद्योगपति कैसे फरार हुआ

गिरफ्तारी का अंदेशा होने पर पवन अहलूवालिया ने कोरोना जैसे लक्षणों की शिकायत की और इलाज के लिए एम्स दिल्ली जाने की अनुमति कलेक्टर अजय कटेसरिया और सीएमएचओ डॉ. एके अवधिया से मांग ली। कलेक्टर ने इसकी अनुमति दे दी। अनुमति मिलते ही अहलुवालिया दिल्ली चले गए। वहां जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई। इस बीच उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी डाल दी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि कोरोना के इलाज के लिए कोई कलेक्टर कैसे ट्रेवल परमिशन जारी कर सकता है। 

मध्य प्रदेश के दो करोड़पति कारोबारियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा

जीएसटी इंटेलीजेंस के सूत्रों का कहना है कि पवन ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इन ट्रैवल परमिशन का सहारा लिया। विभाग का गुटखा कारोबारी किशोर वाधवानी और शराब कारोबारी जगदीश अरोड़ा के खिलाफ कोरोना के बाद यह तीसरा सबसे अहम केस था। पहले दो प्रकरणों में आरोपियों को जमानत नहीं मिली। पवन को अंदेशा था कि उसे भी लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है, इसीलिए वह इन ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स के आधार पर फरार हो गया। 

कोयला घोटाले में भी पवन अहलुवालिया का आ चुका है नाम

पवन अहलुवालिया केजेएस सीमेंट कंपनी के संचालक हैं। पवन का नाम कोयला घोटाले में आया था। मामले में उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने 2017 में 3 साल की सजा और 50 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई थी। बेनामी लेनदेन (निषेध), संशोधित अधिनियम-2016 के तहत देश में पहला प्रकरण पवन के खिलाफ ही दायर हुआ था। उन पर अपने ड्राइवर के नाम पर सैकड़ों एकड़ आदिवासी जमीन खरीदने का आरोप था। मामले में बेनामी के अपीलीय प्राधिकरण ने उनके खिलाफ फैसला दिया है।

हमारी कार्रवाई के बीच में कारोबारी को ट्रैवल परमिशन दी गई: ADG GST

यह बिलकुल साफ है कि जब पवन अहलुवालिया को ट्रेवल परमिशन जारी हुई, उस समय उनके खिलाफ हमारी कार्रवाई जारी थी। वह इन दस्तावेजों के आधार पर दिल्ली चले गए। हमने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। -पंकज के सिंह, एडीजी, जीएसटी इंटेलीजेंस

GST की कार्रवाई की मुझे कोई जानकारी नहीं थी: सतना कलेक्टर

पवन अहलुवालिया ने कहा था कि वे पूरे कोरोना प्रोटोकाल को फॉलो करते हुए दिल्ली इलाज के लिए जाना चाहते हैं, इसलिए हमने परमिशन जारी कर दी। उनके खिलाफ जीएसटी इंटेलीजेंस के छापे की कार्रवाई चल रही है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है, न ही गैर जमानती वारंट जारी होने के बारे में पता है। -अजय कटेसरिया, कलेक्टर, सतना

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