इंदौर। मध्य प्रदेश के सबसे संक्रमित शहर इंदौर में 'आपदा को अवसर' बना लिया गया है। कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों का भारी-भरकम बिल बनाने का एक और मामला सामने आया है। चौंकाने वाली बातें आएगी कोरोना मरीज का 6 लाख का बिल बनाने वाले अस्पताल में तीन सरकारी डॉक्टर विजिट पर आते थे, अस्पताल ने डॉक्टर की फीस ₹100000 वसूल की है।
हर मरीज से यूनिवर्सल प्रोटेक्शन के नाम पर ₹3000 प्रतिदिन की वसूली
मामले की जांच के लिए बनाई गई समिति ने भंवरकुआं स्थित एप्पल हॉस्पिटल का रिकॉर्ड जप्त कर लिया है। जांच में पता लगा कि मरीज से रोजाना 3000 रुपए प्रतिदिन यूनिवर्सल प्रोटेक्शन के नाम पर लिए गए। वहां भर्ती सभी मरीजों से यह राशि ली जा रही है। जांच समिति को जो बिल की कॉपी दी गई उसमें निजी लैब में करवाई कोरोना जांच का उल्लेख नहीं है। मरीज को दिए गए बिल में इसका भी शुल्क जोड़ा गया है।
एप्पल हॉस्पिटल में कोरोना मरीज को 22 दिन भर्ती रखा ₹600000 का बिल बना दिया
सागर निवासी व्यक्ति के परिजन ने कलेक्टर को इसकी शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि 22 दिन तक भर्ती करने के बाद मरीज को 6 लाख का बिल दिया गया।
एप्पल हॉस्पिटल में कोरोना मरीज कैलाश के लिए ₹100000 की दवाई
एक लाख रुपए की दवाई बाहर से मंगवाई, जिससे इलाज का कुल खर्च सात लाख हो गया। इसके बाद मंगलवार रात को जिला प्रशासन की समिति ने छापामार कार्रवाई की। शिकायत करने वाले मरीज के अलावा अन्य मरीजों के बिल का रिकाॅर्ड भी लिया गया था।
CMHO ने नोटिस जारी करके जवाब मांगा
तीन दिन में स्पष्टीकरण दें। जवाब न मिलने या असंतोषजनक होने पर मेडिकल एक्ट 2019 की धारा 27 में प्रोफेशनल एवं एथिकल मिसकंडक्ट मान मप्र उपचर्या अधि. 1973 एवं नियम 1997 में पंजीयन निरस्त/ एफआईआर कराई जाएगी। -सीएमएचओ
सरकारी डॉक्टर प्राइवेट अस्पताल में ₹3000 रोज फीस ले रहे थे
प्रशासन ने तीन सरकारी डॉक्टर्स डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. सुनील मुकाती और डॉ. मिलिंद बालदी काे नोटिस दिए हैं। इन्हें प्रतिदिन 3000 रुपए का भुगतान किया गया। सरकारी डॉक्टर होते हुए भी फीस लेकर निजी अस्पताल में मरीज देखना गलत है। नेशनल मेडिकल एक्ट 2019 की धारा 27 में इसे प्रोफेशनल मिसकंडाक्ट माना है।
प्रोटोकॉल के खिलाफ मरीज की कई बार को कोविड-19 जांच कराई
डॉ. अमित मालाकार कोविड प्रभारी ने बताया कि मरीज की कई बार कोविड जांच करवाई गई, जबकि ऐसा नहीं किया जा सकता। उसका भी अधिक शुल्क लिया गया। पीपीई किट के नाम पर रोज तीन हजार लिए गए। जितना खर्च बताया गया है, उतना नहीं हो रहा है। वहां भर्ती सभी मरीजों से इतना ही शुल्क ले रहे हैं, जबकि एक ही किट में सभी को देख रहे होंगे।
अस्पताल का खर्चा 6 गुना बढ़ गया है: संचालक एप्पल हॉस्पिटल ने कहा
मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। अस्पताल का खर्च 5-6 गुना बढ़ गया है। आठ बार हाई कैलोरी डाइट देना होती है। स्टाफ आधा काम कर रहा है, वेतन पूरा दे रहे हैं।
-डॉ. एम.के. शर्मा, एप्पल हॉस्पिटल
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