दूध को दही बनाने वाले चमत्कारी पत्थर में क्या खास है, कहां मिलता है, नाम क्या है / GK IN HINDI

क्या आप जानते हैं, 21वीं सदी में भारत में एक ऐसा पत्थर पाया जाता है जिसे यदि आप दूध के बर्तन में डाल दें तो वह दूध, दही बन जाता है। मजेदार बातें आएगी इस पत्थर के कारण बने दही में, जामन या दूसरी आम प्रचलित प्रक्रिया से बने दही से ज्यादा स्वाद होता है। दुनिया भर में इस पत्थर की ना केवल चर्चा होती है बल्कि सप्लाई भी होती है।

दूध को दही बनाने वाले चमत्कारी पत्थर का नाम क्या है, कहां पाया जाता है

यह एक विशेष प्रकार का पत्थर है। मुगल बादशाह हो द्वारा लिखवाए गए इतिहास में इसे हाबूर पत्थर के नाम से पुकारा गया था। स्थानीय भाषा में हाबूरिया भाटा कहा जाता है। यह पत्थर राजस्थान के जैसलमेर से 40 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव में पाया जाता है जिसे पूनम नगर के नाम से जाना जाता है। मुगल शासन काल में इस गांव को हाबूर गांव के नाम से पुकारा गया और भारत के प्राचीन पुस्तकों में इस गांव का नाम 'स्वर्णगिरी' बताया गया है।

दूध का दही बनाने वाले चमत्कारी पत्थर में खास बात क्या है

हाबूर पत्थर को जब विदेशी पर्यटक अपने साथ ले गए और यह पत्थर चर्चा का केंद्र बना तो वैज्ञानिकों ने अपनी लैब में पत्थर की जांच की। जांच में पाया गया कि इस पत्थर में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन मौजूद हैं। ये केमिकल दूध से दही जमाने में सहायक होते हैं।

दूध से दही कैसे बनता है, वैज्ञानिक प्रक्रिया बताइए

वैज्ञानिक दृष्टि से दूध से दही बनने के लिए लैक्टोबैसिलस नाम का बैक्टीरिया या जीवाणु उपस्थित होना आवश्यक है। इस हाबुर पत्थर मे कुछ एमिनो एसिड जैसे फिनायल एलेनाइन, रिपटाफेन, टायरोसिन पाये जाते हैं जो कि खुशबूदार एमिनो एसिड (Aeromatic amino acid) हैं। इसमें जमने वाले दही का स्वाद और खुशबू दोनों ही बढ़ाते हैं। जिसके कारण  इसमें जमे हुए दही में  एक विशेष ही Aroma आती है।

जोड़ों का दर्द, डायबिटीज और पाइल्स कंट्रोल करने वाला पत्थर

हाबूर पत्थर चमत्कारी जीवाश्म पत्थर बताया जाता है जिसका गठन 180 मिलियन साल पहले समुद्र के खोल से जैसलमेर में हुआ था। इसमें भारी औषधीय गुण होते हैं, जैसे मधुमेह तथा रक्त दबाव नियंत्रित करता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पत्थर से बने ग्लास में रात को सोते समय पानी भरकर रख दो और सुबह खाली पेट पी लो। अगर आप एक से डेढ़ महीने तक लगातार इसका पानी पीते है, तो आपके शरीर में एक चेंज नजर आएगा। आपके शरीर में होने वाला जोड़ों का दर्द कम होगा साथ ही पाइल्स की बीमारी कंट्रोल होगी।

हाबूर पत्थर के बर्तन क्या ऑनलाइन भी मिलते हैं

हाबूर पत्थर से बने बर्तनों कि डिमांड देश के साथ-साथ विदेशों में भी है। इस पत्थर से बने बर्तनों की बिक्री ऑनलाइन भी होती है। कई ऐसे ऑनलाइन आउटलेट है जहां पर आपको इस पत्थर से बने बर्तन अलग- अलग Rate पर मिल जाएंगे। उदाहरण के तौर पर अगर आपको हाबूर पत्थर से बनी एक प्याली खरीदनी है तो आपको 1500 से 2000 रुपये चुकाने होंगे। वहीं कटोरी की कीमत 2500 के आसपास हो सकती है। वहीं एक गिलास की कीमत 650 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक होती है।

HABUR STONE अस्तित्व में कैसे आया

कहा जाता है कि जैसलमेर में पहले समुद्र हुआ करता था। जिसका का नाम तेती सागर (टेथीज सागर) था। कई समुद्री जीव समुद्र सूखने के बाद यहां जीवाश्म बन गए और पहाड़ों का निर्माण हुआ। हाबूर गांव में इन पहाड़ों से निकलने वाले पत्थर में कई खनिज और अन्य जीवाश्मों की भरमार है। जिसकी वजह से इस पत्थर से बनने वाले बर्तनों की भारी डिमांड है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)

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