कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन के लिए #RestoreOldPension ट्रेंड कराया / EMPLOYEE NEWS

भोपाल। पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के आव्हान पर नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के अन्तर्गत आने वाले कर्मचारियो ने ट्विटर पर #RestoreOldPension हैश टेग से 26 जून 2020 को दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच डिजिटल आंदोलन चलाया। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन के कारण ट्वीटर पर #RestoreOldPension टाॅप पर ट्रेंड कर रहा था। ट्विटर पर किए गये इस डिजिटल आंदोलन में सभी प्रदेशो के पुरानी पेंशन से वंचित, नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में आने वाले कर्मचारी सहभागी बने। 

देश के अनेक कर्मचारी स्वयं संक्रमित हो गये


कोरोना संकटकाल में अपना जीवन जोखिम में डालकर डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाॅफ, पुलिस कई विभागो के कर्मचारी, बडी संख्या में आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे है।उद्देश्य एक ही है "कोरोना को हराना है, भारत को जिताना है।" संक्रमितो को ढूंढना, उनका टेस्ट, ईलाज, सेवा, अंतिम संस्कार और क्वारेंटाईन सेंटरो पर संदिग्धो की देखभाल के विभिन्न चरणो में सेवा दे रहे देश के अनेक कर्मचारी स्वयं संक्रमित हो गये और बडी संख्या में असमय काल कलवित हो गये। 

कोरोना योद्धा के दायरे में शासन की परिभाषा में सेवा देने वाले बहुत कम कर्मचारी आते है


कोरोना योद्धा के दायरे में शासन की परिभाषा में सेवा देने वाले बहुत कम कर्मचारी आते है जबकि इस महामारी को हराने में लाखो कर्मचारी सेवा दे रहे है।कोरोनो संक्रमितो को सेवा दे रहे अनेक कर्मचारी  असमय काल कालवित होने वाले बहुत कम कर्मचारियो के परिवार को कोरोना योद्धा बीमा और अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिला।दुखद ये है कि कोरोना संक्रमण काल में सेवा दे रहे अधिकांश असमय काल कालवित होने वाले कर्मचारी शासन के कोरोना योद्धा के परिभाषा के दायरे में ही नही आते थे इसलिए उनके परिवार के सदस्यो को कोरोना योद्धा बीमा और अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नही मिला।जबकि इस महामारी को हराने, नियंत्रित करने में उनकी भी बराबरी की भागीदारी थी।जिसके कारण उत्पीडित परिवारो के सामने तत्काल ही जीवन-यापन का संकट खडा हो गया है। 

इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजयकुमार बंधु ने इस ट्विटर पर #RestoreOldPension  के हैश टेग से चलाये जा रहे आंदोलन में नारा दिया "कोरोना योद्धाओ का सच्चा सम्मान पुष्पवर्षा नही, पुरानी पेंशन बहाल करे।"देश के पुरानी पेंशन विहीन और नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में आने वाले कर्मचारयो ने ट्विटर पर ट्वीट कर इस डिजिटल आंदोलन के माध्यम से हाथ में पुरानी पेंशन बहाली के स्लोगण युक्त पोस्टर लेकर फोटो को ट्विटर पर ट्वीट कर कोरोना योद्धा जो शहीद हो चुके है के परिवार के लिए बीमा राशि, अनुकंपा नियुक्ति तथा शहीद कर्मचारी को पुरानी पेंशन के दायरे में लाकर परिवार के सदस्यो को पारिवारिक पेंशन देने की ओर ध्यान आकर्षण करने के लिए संवैधानिक पदो पर आसीन माननीय सर्व श्री प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गृहमंत्री, वित्तमंत्री, कार्मिक मंत्रालय, केन्द्रीय मंत्रीगण, प्रदेशो के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मीडिया संस्थान आदि को ऐड कर भी ट्वीट किए।

कभी शासकीय कर्मचारियो का सबसे बडा आकर्षण सुरक्षित भविष्य के रूप में पुरानी पेंशन हुआ करती थी।जिसे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने अध्यादेश के माध्यम से बगैर कर्मचारियो को विश्वास में लिए बंद कर दिया था। 01 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारयो को नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत सेवानिवृत्ति पर पेंशन देना सुनिश्चित किया गया।नेशनल पेंशन स्कीम से मिलने वाले लाभ के बारे में खुब सब्जबाग दिखाए गये।नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में आने वाले कर्मचारी जब सेवानिवृत्त होने लगे तो कडवी वास्तविकता सामने आने लगी।इसके अंतर्गत अधिकांश कर्मचारयो की पेंशन अत्यंत कम दो हजार से भी कम बनने लगी।जिसमे सेवानिवृत्त कर्मचारी का सम्मान पूर्वक जीवन यापन संभव ही नही है।कई सेवानिवृत्त कर्मचारी तो ऐसे भी है जिन्हे वृद्ध पेंशन योजना से मिलने वाली पेंशन से भी कम पेंशन प्राप्त हो रही है। 

कर्मचारियो को दिखाए गये अच्छी खासी पेंशन के सब्जबाग जब झूठ का पुलिंदा साबित होने लगे तब कर्मचारियो का आक्रोश भडकने लगा क्योंकि नेशनल पेंशन स्कीम में प्रतिमाह कर्मचारी के वेतन का 10% अंशदान एवं उतना ही शासन का अंशदान मिलाकर पुंजी nsdl के माध्यम से शेयर बाजार के हवाले की जाती है जो जोखिम के अधीन है।शासकीय कर्मचारियो की सबसे बडी चिंता सेवानिवृत्त भविष्य और बुढापा है।वह नेशनल पेंशन स्कीम के रूप में मिलने वाली पेंशन में जोखिम नही चाहता है।वह चाहता है की सेवानिवृत्ति पर पुरानी पेंशन मिले जो अंतिम वेतन का अधिकतम 50% राशि हुआ करती थी ताकि सेवानिवृति और बुढापे में वह आत्मनिर्भर होकर सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।कर्मचारी चाहता है कि असामयिक मृत्यु होने पर उसका परिवार भी सुरक्षित रहे अतः उन्हे पारिवारिक पेंशन मिले।यह तभी संभव है जब पुरानी पेंशन बहाल की जाए। 

देश में लगभग 70 लाख पुरानी पेंशन से विहीन केन्द्र और राज्य शासनो के कर्मचारी है।पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय अभियान द्वारा 2014 से निरंतर केन्द्र और राज्य शासनो से मांग की जाती रही है कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए।देश में इस मांग को लेकर निरंतर आंदोलन भी हो रहे है लेकिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकारे इसे लागू नही कर अडियल रवैया अपनाए हुए है।वे कर्मचारियो से नेशनल पेंशन स्कीम के लाभ-हानि को लेकर संवाद भी नही करना चाहते।कर्मचारियो का सीधा आरोप है कि केन्द्र और राज्य सरकारे हमारे भविष्य को अंधकार में धकेल कर पूंजीपतियो को हमारा धन उपलब्ध करा रही है और उनके भविष्य को अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रही है।अपने भविष्य और बुढापे को लेकर कर्मचारियो में चिंता और असुरक्षा का भाव है।कर्मचारियो का असंतोष निरंतर बढते जा रहा है।यह ट्विटर पर डिजीटल आंदोलन 70 लाख कर्मचारियो की पुरानी पेंशन बहाली की ओर केन्द्र और राज्य सरकारो का ध्यान आकर्षण करना भी था।

कोरोना महामारी संक्रमण काल में मैदानी आंदोलन संभव नही था।कोरोना को हराने के लिए सोसल डिस्टेंसिंग और शासन के निर्देशो का पालन जरूरी था इसलिए ट्विटर पर डिजिटल आंदोलन का तरीका अपनाया गया। 

NMOPS मध्यप्रदेश के प्रान्ताध्यक्ष परमानंद डेहरिया का आरोप था कि निवर्तमान मध्यप्रदेश की सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली का वचन दिया था लेकिन सरकार के निर्धारित समय से पहले पतन होने से यह मांग पूरी नही हो सकी।अब मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार की जिम्मेदारी है कि  वह पुरानी पेंशन बहाली को पूरा करे।अनेक राज्यो की सरकारे पुरानी पेंशन बहाली के वादे के साथ बनी किसी ने वादे को पूरा करने का नैतिक साहस नही दिखाया।जो कर्मचारियो के भविष्य और बुढापे के साथ सीधा धोखा है। 

मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के ट्विटर पर डिजिटल आंदोलन को सफल बनाने में प्रान्ताध्यक्ष परमानंद डेहरिया, राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर अशोक तिवारी, फारूख खान महासचिव, हीरानंद नरवरिया मीडिया प्रभारी, रमेश पाटिल सचिव, सजीर कादरी संगठन सचिव, मोहम्मद हनीफ शेख वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जी एस मैहर, रामनरेश कुशवाह आई टी सेल, बाबूलाल मालवीय, मनमोहन दुबे संभागाध्यक्ष रवि सरनेकर, मनमोहन जाटव आदि पदाधिकारी निरंतर प्रयासरत रहे।

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