पदोन्नति से वंचित शिक्षकों को है पदनाम की दरकार, मंत्रिमंडल के विस्तार पर निगाहें / EMPLOYEE NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग में बिना पदोन्नति 30 से 40 वर्षों से एक ही पद पर सेवा दे रहे शिक्षकों को पदोन्नति की प्रत्याशा में योग्यता, अनुभव और प्राप्त क्रमोन्नत वेतन के आधार पर पदनाम दिए जाने का इंतजार है। 

समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चंद्र दुबे के अनुसार विभागीय स्तर पर प्रस्ताव पिछले 4 वर्षों से विचाराधीन है, जिस पर विधि और सामान्य प्रशासन विभाग पूर्व में सहमति दे चुका है, प्रस्ताव में समय समय पर लगाई गई आपत्तियों के चलते कई बार बदलाव भी हुए, यहां तक कि पिछली शिवराज सरकार में मामला कैबिनेट के एजेंडे तक में शामिल हो चुका है, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण पदनाम के मुद्दे पर निर्णय नहीं हो सका था, श्री दुबे के अनुसार पिछले वर्षो में इसको लेकर काई आंदोलन भी हुए लेकिन निर्णय नहीं हो पाया फिलहाल शिक्षकों को मंत्रिमंडल के विस्तार का इंतजार है, विभागीय मंत्री के अस्तित्व में आते ही संगठन इस मुद्दे पर निर्णय के लिए पुनः एक बार पहल करेगा।

विभाग की गलती से कनिष्ठ हुए उपकृत, वरिष्ठ हुए परिष्कृत

दिग्विजय सिंह शासनकाल में वर्ष 1994 में शिक्षकों के पद डाईन कैडर घोषित होने के बाद पंचायती राज अधिनियम के अस्तित्व होने के बाद नगरीय और पंचायत विभाग से शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षक के रूप में भर्ती हुए और बाद में अध्यापक संवर्ग में शामिल हुए अध्यापकों को वरिष्ठ और पुराने शिक्षकों के ऊपर वरीयता देकर 2009 से लेकर 2013 तक लगातार पदोन्नति दी गई, वही पुराने सहायक शिक्षको,शिक्षको को उच्च योग्यता 30 से 40 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव रखने के बावजूद पूरी तरह पदोन्नति से वंचित कर दिया गया, पदोन्नति के इंतजार में हजारों शिक्षक बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए।

पदोन्नति में आरक्षण का विवाद कोर्ट में जाने से बड़ी मुश्किले

वर्ष 2014 में उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा भर्ती पदोन्नति अधिनियम 2002 निरस्त किए जाने तथा मामला अपील में सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद से प्रदेश में पदोन्नति पूरी तरह बाधित हो गई है, जिसके विकल्प के रूप में योग्यता और क्रमोन्नति के आधार पर पदनाम देने की मांग उठाई गई।

ढाई साल पुरानी है मुख्यमंत्री की घोषणा, सामान्य प्रशासन विभाग विभाग भी दे चुका है निर्देश

श्री दुबे के अनुसार आज से ढाई साल पूर्व तत्कालीन सरकार में मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने नसरुल्लागंज में हुए समग्र शिक्षक संघ के सम्मेलन में उच्च योग्यताधारी सहायक शिक्षकों, शिक्षकों और प्रधानपाठकों को उनको प्राप्त क्रमोन्नति के आधार पर पदनाम देने की घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने की थी, जिसका पालन नहीं हो पाया, वही 9 मार्च 2020 को सामान्य प्रशासन विभाग भी क्रमोन्नति के आधार पर पदनाम देने के निर्देश सभी विभागाध्यक्षों को जारी किए है, इसके पहले कि इस पर अमल हो पाता,सरकार ग्रिर गई अब शिक्षकों को नई शिवराज सरकार से इसके निर्णय की उम्मीद लगी है,शिक्षक प्रतिनिधि मुरारीलाल के अनुसार मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना के मद्देनजर प्रदेश के शिक्षा महकमे में सरगर्मियां शुरू हो गई है।

गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस महकमे को क्रमोन्नति का पदनाम दिए जाने की सहमति व्यक्त करने के बाद प्रदेशभर से उच्च योग्यताधारी शैक्षणिक संवर्ग को भी वरिष्ठता सह उपयुक्तता के आधार पर क्रमोन्नति का पदनाम देने की मांग उठने लगी है।

समग्र शिक्षक संघ से मांग करने वाले प्रदेश वा जिला पदाधिकारियों में रतिराम मिश्रा, एच.ए.एस,खान कुरैशी होतमसिंह गुर्जर, नरेंद्र दुबे, संजय तिवारी, आसिफ पठान, जयराज देवड़ा, प्रदीपसिंह पवार, रमेश राठौर, जगदीश शर्मा, संतोष जैन गुरुुजी, मनोज जोशी, प्रमोद वैष्णव, राघवदास वैष्णव, रविंद्रसिंह ठाकुर, प्रेमनारायण पंडित, भैयालाल कनाडे, फिरोज खान, बसंत तिवारी, विजयशंकर पाठक, राजेंद्र मालवीय, आदित्य मिश्रा, अमित उपमन्यु, सनत जैन, सुरेन्द्र तिवारी, अशोक गुप्ता, गोविंद तिवारी अभिजीत पांडे, नरेंद्रसिंह चौहान, भरतलाल पाटीदार, लक्ष्मणसिंह कुंडल, हेमंत गुप्ता, केसरसिंह मालवीय, मनीष जैन, अविष्कार शर्मा, नरेंद्र पेड़वा, मनोज शर्मा, दिलीप कसेरा, देवेंद्र तोमर,अशोक शर्मा दतिया, मनोहरलाल शर्मा, के.एन गुप्ता, अनिल हाड़ा, खुर्शीद आलम, दीपक निगम, भगवानसिंह दांगी, के के दुबे, कमलसिंह,वीरेंद्र चंसौरिया, डीके जैन, जी एस दीक्षित, ब्रजमोहन तिवारी, आनंद दुबे, मनोज ताम्रकार, राजेन्द्र रघुवंशी आदि सहित प्रदेश के अनेक जिला प्रदेश और संभाग प्रतिनिधि शामिल हैं।

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