शिवराज के लिए सिरदर्द कम नहीं: COVID-19 के बाद CABINET-26

भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तो जा बैठे लेकिन शिवराज सरकार पार्ट 4 के बचे हुए 3 साल काफी तनाव भरे गुजरने वाले हैं। फिलहाल शिवराज का सबसे बड़ा सिरदर्द है COVID-19, यदि कोई ऊंच-नीच हो गई तो संभालना मुश्किल हो जाएगा लेकिन जीत भी गए तो सिर दर्द कम नहीं होगा क्योंकि इसके तत्काल बाद एक नया सिरदर्द शिवराज सिंह का इंतजार कर रहा है और उसका नाम है CABINET-26

लॉक डाउन के खत्म होते ही काउंटडाउन शुरू हो जाएगा

मध्यप्रदेश में लॉक डाउन के खत्म होते ही काउंटडाउन शुरू हो जाएगा। मंत्रिमंडल के गठन का काउंटडाउन। इन दिनों शिवराज सिंह चौहान बिना मंत्रिमंडल के काम कर रहे हैं लेकिन इस सीन को लंबा नहीं खींचा जा सकता। मंत्रिमंडल का चयन तो करना ही पड़ेगा। सबसे बड़ी समस्या है ज्योतिरादित्य सिंधिया के वह 9 समर्थक जिन्हें उपचुनाव से पहले मंत्री बनाना है। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट एवं कांग्रेस से आए दावेदारों के नाम

सिंधिया के साथ 22 लोगों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है, जिसमें 9 लोग मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। तुलसी सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभुराम चौधरी हैं। ये छह तो कांग्रेस से मंत्री पद छोड़कर आए हैं। इसके बाद हरदीप सिंह डंग और बिसाहूलाल सिंह भी प्रबल दावेदार हैं। क्योंकि कांग्रेस से दोनों मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर ही नाराज थे। बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस के काफी वरिष्ठ नेता थे। सिंधिया से पहले उन्होंने बीजीपी सदस्यता ग्रहण की।

CABINET-26 सिर दर्द क्यों है

मंत्री परिषद में जगह सीमित है जबकि ऐसे दावेदारों की बड़ी फौज है जिन्हें आश्वासन या विकल्प देकर समझाना मुश्किल है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के सामने दिक्कत है कि सिंधिया गुट के दावेदारों के साथ उन्हीं इलाकों से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री भी दावेदार हैं। इनमें से कुछ शिवराज सिंह गुटके हैं तो कुछ RSS/BJP के प्रतिष्ठित नेता। संकट यह है कि एक ही इलाके से कितने लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाए। यदि दखलंदाजी नहीं की और दिल्ली की लिस्ट का इंतजार किया तो अपने लोगों को इग्नोर करना भारी पड़ सकता है। 

सबसे बड़ा सवाल इंदौर से मंत्री कौन

तुलसी सिलावट कांग्रेस की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे, ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास हैं। यह इंदौर के सांवेर सीट से विधायक थे। इनके उपमुख्यमंत्री पद की चर्चा है। मगर इंदौर से ही बीजेपी के ऊषा ठाकुर, रमेश मेंदोला और महेंद्र हार्डिया दावेदार हैं। जबकि यहां से सिर्फ दो लोग ही मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। यह कैलाश विजयवर्गीय का गृह क्षेत्र है। भले ही इस बार भी वह मुख्यमंत्री की रेस में शामिल ना हो पाए हो परंतु इंदौर में मंत्री के नाम का चुनाव तो कैलाश विजयवर्गी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न होगा। 

सागर को 3 मंत्री मिलेंगे

सागर से आने वाले गोविंद सिंह राजपूत को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलनी है। ये कमलनाथ की सरकार में परिवहन मंत्री थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी नजदीकी है। कैबिनेट में इनकी कुर्सी आरक्षित है। दूसरे नंबर पर हैं गोपाल भार्गव जिन्होंने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देकर शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया। ऐसा कैसे हो सकता है कि गोपाल भार्गव को कैबिनेट में जगह न दी जाए। तीसरा नाम है भूपेंद्र सिंह। शिवराज सिंह से व्यक्तिगत रिश्ते हैं। यदि भूपेंद्र सिंह को मंत्री नहीं बनाया तो शिवराज सिंह की टीम पूरे मध्यप्रदेश में कमजोर हो जाएगी।

ग्वालियर-चंबल में इतने जिले नहीं जितने कैबिनेट मंत्री बनेंगे

भांडेर से विधायक रहीं इमरती देवी पूर्ववर्ती सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री थी। इस बार भी उन्हें कैबिनेट में जगह मिलेगी। बीजेपी की तरफ से दतिया विधायक नरोत्तम मिश्रा भी हैं। मिश्रा जी का नाम तो मुख्यमंत्री पद के लिए चला था। इन दिनों डिप्टी सीएम के लिए चल रहा है। यानी कैबिनेट में कुर्सी पक्की है।
ग्वालियर शहर से प्रद्युम्न सिंह तोमर का नाम भी कैबिनेट मंत्री के लिए तय है। कमलनाथ सरकार में यह खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री थे। 
शिवपुरी से विधायक यशोधरा राजे सिंधिया का नाम भी कैबिनेट की एक कुर्सी पर लिखा ही जाना है। शिवराज सिंह सरकार में पिछली बार भी यशोधरा राज्य कैबिनेट मंत्री थी। अब तो उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में भाजपा के लोकप्रिय नेता है।
भिंड में अटेर विधायक अरविंद सिंह भदौरिया मंत्री पद के दावेदार हैं।
कमलनाथ की सरकार में श्रम मंत्री रहे महेंद्र सिंह सिसोदिया गुना संसदीय क्षेत्र से आते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया यहीं से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। यहां से बीजेपी की तरफ से दावेदार गोपीलाल जाटव हैं।
मुरैना से बीजेपी के एंदल सिंह कंसाना भी दावेदारी ठोक रहे हैं। सिंधिया खेमे के रघुराज सिंह कंसाना भी मंत्री पद के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं।

रायसेन जिले से दो मंत्री

स्कूली शिक्षा मंत्री रहे प्रभुराम चौधरी सांची से आते हैं, यह रायसेन जिले में पड़ता है। यहां से बीजेपी के रामपाल सिंह का नाम प्रस्तावित है।

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